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तस्वीर: राज पाण्डेय, सौजन्य: QGraphy

‘उन्होंने कहा था’: स्वगत कथन

तस्वीर: राज पाण्डेय, सौजन्य: QGraphy ये बातें उस दौर की हैं जिसे गुज़रे ज्यादा समय नहीं बीता है। पर इतना कुछ बदल चुका है, कि ये बातें किसी और ही सदी की लगती हैं, जो लोगों की आँखों से बच कर निकल गयी हैं। जिसे जाननेवाला, पहचाननेवाला, कोई बचा नही... Read More...
ताज महल - एक लघुकथा | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy

ताज महल (एक लघुकथा)

ताज महल - एक लघुकथा | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy "तुमने ताज महल देखा है?" "हाँ।" "ऐसे नहीं.... रात को ?" "नहीं। क्यों ?" "पच्चीस साल पहले ,मेरी..." "मै चौबीस का हूँ।" "सुनो ना... पच्चीस साल पहले मेरी पोस्टिंग आगरा मे थी। उन दिनों आ... Read More...
‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग ४/१०) | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy

‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग ४/१०)

‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग ४/१०) | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy श्रुन्खलाबद्ध कहानी 'आधा इश्क' की पहली तीन किश्तें यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ प्रस्तुत है इस कथा का चौथा भाग: “तुमने आजतक मुझे कुछ नहीं बताया। कुछ बताओ न अप... Read More...
'रिवाज' - एक कविता | छाया: आकाश मंडल | सौजन्य: QGraphy

‘रिवाज’ – एक कविता

'रिवाज' - एक कविता | छाया: आकाश मंडल | सौजन्य: QGraphy कई दिनो से वो एक दुसरे को जानते थे अच्छी तरह न सही पर एक दूसरे के अस्तित्व में होने को तो वो जानते ही थे । उन्होंने एक दूसरे का चेहरा नहीं देखा था न एक दूसरे के नाम से वाक़िफ़ थे पर ... Read More...
आधा इश्क (भाग ३/१०) | तस्वीर: चैतन्य चापेकर | सौजन्य: QGraphy

‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग ३/१०)

आधा इश्क (भाग ३/१०) | तस्वीर: चैतन्य चापेकर | सौजन्य: QGraphy कहानी ‘आधा इश्क’ के गत हिस्से यहाँ पढ़ें: भाग १ भाग २ प्रस्तुत है भाग ३/१०: पूनम का गुस्सा देखकर संदीप भी बोल पड़ा, “अरे हमने ऐसा क्या कर दिया? सच ही तो बोल रहे थे। हम सिर्फ थो... Read More...
'आधा इश्क': छाया: बृजेश सुकुमारन

‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग २/१०)

कहानी ‘आधा इश्क’ के पहले के हिस्से यहाँ पढ़ें: भाग १ प्रस्तुत है भाग २/१०: -------------------------------- तीन साल पहले: “अरे यार, यह बस क्यों नहीं आ रही है, आज कॉलेज का पहला दिन है। आज ही लेट हो गए न, तो गालियाँ खानी पड़ेंगी सर की।” राकेश बस का... Read More...
'कल रात' - एक कविता , छाया: आकाश मंडल, सौजन्य: QGraphy

‘कल रात’ (एक कविता)

वह थी हकीक़त या ख़्वाब जो देखा था कल रात को सुबह उठकर न भूली मैं तो उस बीती बात को सदियों से जैसे बिछड़े वैसे हम दोनों मिले थे और गुज़ारे चाँद लम्हें जैसे वह आखरी मुलाक़ात हो तड्पी मेरी रूह, मेरा जिस्म बस तेरे अहसास को तरसती है जैसे सूखी ज़मीं प... Read More...
'आधा इश्क' भाग १/१०. तस्वीर: बिनीत पटेल. सौजन्य: QGraphy

‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग १/१०)

प्रस्तुत है, अंकुश द्वारा रचित कहानी "आधा इश्क" की पहली कड़ी: “ये क्या है यार, कबसे फोन लगा रही हूं। कितना सोएगा? उठ जा, आज शुक्रवार है, शनिवार नहीं। दफ्तर नहीं जाना क्या?" सुबह के ८ बजे थे और संदीप अभी तक सो रहा था। पूनम संदीप को कॉल करके उठाने की ... Read More...
लेखक भूषण कोरगावकर

लावणी के ठाठ, ‘सम्मति’ का पाठ: एक मुलाक़ात, भूषण कोरगावकर के साथ!

लावणी महाराष्ट्र की प्रसिद्द गान और नृत्य कला है| धर्म, राजनीति, मुहब्बत और समाज जैसे संवेदनशील विषयों पर, दोहरे अर्थ के शब्दों से कई बार लैस, लावणी एक कामुक, शृंगारिक कला प्रकार है जो मनोरंजन के माध्यम से अपना सन्देश प्रेक्षकों तक बखूबी पहुंचाता है।
किताब का मुख्यपृष्ठ

‘अपनाओ, नकारो या बदलो? ‘समलैंगिक पुरुषों के आपसी रिश्ते’

"समलैंगिक पुरुषों के आपसी रिश्ते, समस्त जीवन-काल के दौरान" यह पीटर रॉबिंसन द्वारा लिखी गई किताब २०१३ में प्रकाशित हुई। मुंबई सहित दुनिया के ९ बड़े शहरों के ९७ गे पुरुषों से मुलाक़ात के ज़रिए जानी गई उनकी जीवन कहानियों का यह विश्लेषण है। परंपरागत विषमलै... Read More...

“अलीगढ़”: विलक्षण और साहसी

श्रीणिवास रामचन्द्र सिरास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मराठी के प्राध्यापक, और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष थे। "अलीगढ़" (हिंदी, २६ फरवरी २०१६ को प्रदर्शित) फिल्म की कहानी ८ फरवरी २०१० की ठंडी और धूमिल रात से शुरू होती है, जब वे हाथ-रिक्शा म... Read More...
सागर और राजेश - एक कहानी

‘सागर और राजेश’ – एक कहानी (भाग २/२)

इस कहानी का पहला भाग आप यहाँ पढ़ें । दूसरा और आखरी भाग: अपना दूसरा हाथ, सागर ने रिक्शावाले के कंधे पर रखा । रिक्शावाले के कंधे भालू जैसे बड़े और बोझल थे । सागर की छुअन पर वह कंधा स्पर्श की उमँग में तना और थोडा उभियाया । कुछ ही पलों में कंधे की उमेठन ... Read More...