Hindi

'समानुभूति की तुला'

उम्मीद पर दुनिया क़ायम है

'समानुभूति की तुला'; तस्वीर: सचिन जैन। "उम्मीद पर दुनिया क़ायम है" - अम्मा ने मेरे कान में कहा और मुझे कुछ घसीटती, कुछ खींचती, माइक के सामने खड़ा कर, अपनी जगह पर जा कर बैठ गईं। मुझे एक वाद-विवाद के कार्यक्रम में एक छोटा सा भाषण देना था। मैं डरा हु... Read More...
चित्रा पालेकर: एक मुलाक़ात

एक मुलाक़ात: चित्रा पालेकर

चित्रा पालेकर: एक मुलाक़ात। छाया: सचिन जैन। चित्रा पालेकर की बेटी शाल्मली ने उन्हें १९९० के दशक में बताया कि वह समलैंगिक है। तबसे चित्रा ने एक लंबा सफ़र तय किया है - समलैंगिकता समझने का और एल-जी-बी-टी समुदाय को अपनाने का। दिल्ली उच्च न्यायलय में एल-ज... Read More...
'नयी राह, नया सफ़र!'

संपादकीय ३ ( ०१ मार्च २०१४)

'नयी राह, नया सफ़र!', तस्वीर: सचिन जैन इस अंक की थीम है 'नयी राह'। पुनरपराधिकरण और रिव्यु याचिका के नामंज़ूर होने के बाद इन्साफ का रास्ता अब शायद संसद से होकर जायेगा। "उम्मीद पर दुनिया क़ायम है" में उवैस खान लैंगिक अल्पसंखयकों के राजनितिक दल की स... Read More...
गुवाहाटी प्राइड परेड २०१४

गुवाहाटी, तेरी प्राईड-रंजित माटी!

गुवाहाटी प्राइड परेड २०१४; तस्वीर: लेस्ली एस्टीव्ज़। ९ फरवरी २०१४ को असम राज्य के गुवाहाटी शहर में पहली बार प्राईड परेड हुआ। सुबह ११ बजे चली मार्च दिघलिपुखुड़ी से शुरू होकर आर.बी.आई, ओल्ड एस.पी ऑफिस लेन, कॉटन कॉलेज, लतहील फील्ड, आम्बरी लांब मार्ग होक... Read More...
पेहराव और पहचान

पेहराव और पहचान

पेहराव और पहचान; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन मैं एक उभयलैंगिक (बाइसेक्शुअल) औरत हूँ। कुछ चीज़ों में मैं किसी भी दूसरी औरत की तरह हूँ। मुझे सजना-धजना, मेक-अप लगाना, हील्स पेहेनना अच्छा लगता है। लेकिन दूसरी तरफ मुझमे कुछ मर्दानी प्रवृत्तियाँ भी हैं। मेरे ब... Read More...
नाटक: 'आख़िर क्यों' में पंचायत का प्रसंग।

‘आख़िर क्यों’ – एक साहसी नाट्याविष्कार

१८ जनवरी २०१४ को आई.आई.टी. खड़गपुर के नेताजी सभागृह में अंतर-हॉल हिंदी नाट्यस्पर्धा २०१३-२०१४ के अंतर्गत 'आख़िर क्यों', नामक नाट्याविष्कार प्रस्तुत किया गया। इंजीनियरिंग की हर स्ट्रीम के द्वितीय वर्ष से लेकर पंचम वर्ष तक के छात्रों ने एच.जे.बी. हॉल ऑफ़ ... Read More...
'तुम्हारे बाद' - एक कविता

तुम्हारे बाद – एक कविता

'तुम्हारे बाद' - एक कविता। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। तुम्हारे बाद। कभी मैंने तुम को यादों कि फुलझड़ी बना दिया उन रातों को भरने के लिए जिनमें खुद को तनहा पाया। कभी तुम जुगनू कि तरह चमके और मैं आँखें मीचे हकबका गया और कह नहीं पाया कितने अच्छे दी... Read More...
“आदित्य और मैं, मैं और आदित्य”; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन

शृंखलाबद्ध कहानी ‘आदित्य’ भाग ३

“आदित्य और मैं, मैं और आदित्य”; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं। पढ़िए कहानी की पहली और दूसरी कड़ी। पेश है तीसरी कड़ी: जबतक हम सभी खाना खा रहे थे उसने एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा, हाँ वह पापा मम्मी और विजय ... Read More...
Donate for Guwahati Pride

संपादकीय २ ( ०१ फरवरी २०१४)

कश्मीर से कन्याकुमारी तक, मुंबई से गौहाटी तक - क्वीयर सहिष्णुता ज़िंदाबाद! तस्वीर: सचिन जैन इस अंक की थीम है सहिष्णुता। सहिष्णुता के अनेक पहलू हैं। पहला है क्षमाशीलता और सहानुभूति। भारत के समलैंगिक इतिहास पर अनेक अभ्यासपूर्ण किताबों की लेखिका और अ... Read More...
Hello 377

‘हैलो ३७७’ – एक कविता

हैलो ३७७; छाया: बृजेश सुकुमारन हैलो ३७७. आज मुझे तुमसे कुछ बातें कहनी हैं. मुझे ये जो ज़रूरत महसूस होती है अचानक बेबाक कहने की- मुझे उससे प्यार है, मुझे प्यार है उससे और यह भी कि उसके पंखों की उड़ान मेरी ही उड़ान है वो बारिश भी उसी की है जो ... Read More...
Sex education

यौन विज्ञान शिक्षा और यौनिकता

यौन विज्ञान शिक्षा; छाया: बृजेश सुकुमारन सिर्फ एलजीबीटीआई विषयों पर काम करना पर्याप्त नहीं होगा। एक समग्र दृष्टिकोण लेकर, यौन विज्ञान शिक्षा देना भी महत्त्वपूर्ण है। प्रजनन या लैंगिक स्वास्थ्य पर अगर बात करें तो सबसे पहले 'रा. धो. कर्वे' जी का नाम... Read More...
Zehen Labia Leafletting

एक ज़हनी सवाल

'ज़हन' कि श्रेया सेन, दादर स्टेशन के क़रीब; तस्वीर: मेघना मराठे 'ज़हन' नारीवादी संघटना और 'लेबिया' क्वीयर नारीवादी संघटना ने भारतीय दंड संहिता की धारा ३७७ से जुड़े उच्चतम न्यायालय के निर्णय बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मुम्बई में एक अनूठ... Read More...