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'सन्नाटा' - एक कविता; छाया: कार्तिक शर्मा

सन्नाटा – एक कविता

सन्नाटा दिल के तख़्त पर महफूज़ रखा था मेरी हर नन्हीं सी ख्वाहिश को मेरे छोटे से इन हाथों में दिया तुमने जग यह सारा हर क़दम चला तेरे साए में तेरे आँचल में मैं... Read More...