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Hindi

कविता: उम्मीद

By Amit Rai

February 24, 2022

मुझे प्यार जताना नहीं आतामगर प्यार फिर भी करता हूँ

मुनासिब तरीक़ा नहीं आताइस लिए यूँही सिसकता हूँ

कुछ रह गयीं हैं बातें बतानीजो बोल नहीं पाता, तो बेचैन सा रहता हूँ

मेरे तकिए की नमी ये गवाह देती है किटूटके, बिखरके, मैं कैसे सिमटता हूँ

जो जल रही है उधर, मेरे अरमान कि चिता हैकोई लहर आकर बुझा दे उसे, इस आस मे बैठा हूँ

एक ही ख़्वाब था मेरा, दफ़्न हैं यहीं परअब इसी गीली मिट्टी के एहसास से जीता हूँ

उम्मीद तो है अब भी, उसके लौट आने की कभीइस लिए हर आहट को अब दिल थाम के सुनता हूँ