आधा इश्क (भाग ३/१०) | तस्वीर: चैतन्य चापेकर | सौजन्य: QGraphy

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‘आधा इश्क़’ – एक कहानी (भाग ३/१०)

By Ankush N

May 22, 2016

कहानी ‘आधा इश्क’ के गत हिस्से यहाँ पढ़ें:

भाग १

भाग २

प्रस्तुत है भाग ३/१०:पूनम का गुस्सा देखकर संदीप भी बोल पड़ा, “अरे हमने ऐसा क्या कर दिया? सच ही तो बोल रहे थे। हम सिर्फ थोड़ी ज़बान खोलकर उससे दोस्ती करना चाहते थे। सोचा, इस बेचारे का कोई दोस्त नहीं है, हम दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाएँगे तो उसे अच्छा लगेगा। पर इसे देखो, साला, बड़ा अजीब नमूना है। भाड़ में जाए। अब तो इससे कोई दोस्ती-वोस्ती नहीं करनी।”

“ओये क्या होरिया है, सबके चहरे ऐसे उतरे हुए क्यों हैं? टॉमबॉय प्रीती ने कैंटीन में एंट्री ली।

“अरे वह नीरज है न, वह रोते हुए चला गया यार। क्यों रो रहा था? बड़ा अजीब लग रहा है।”

पूनम के इस प्रश्न को को टाल प्रीती ने अपने धौंसिया अंदाज़ में कहा, “छोडू उसे, वह साईको है। मुझे बता, कल तेरी पार्टी है न? कहाँ रखनेवाली है?

“कल शाम को, मेरे घर। मम्मी-पापा बाहर जानेवाले हैं, तो रास्ता साफ़ है। हम लोग मिलकर धमाल करेंगे!!”

पूनम की सालगिरह का जशन:

“अरे यार यह पीत्ज़ा आर्डर किया था, अब तक आया क्यों नहीं? भूख के मारे चूहे दौड़ रहे हैं पेट में। यह कमबख्त पित्ज़ा बॉय अपनी पार्टी खराब कर छोडेगा।” प्रीती पित्ज़ा का इंतज़ार करते-करते टंटा मचाने लग गई थी।

“आ जाएगा यार, अभी तो बस पचीस मिनट ही हुए हैं। तू तब तक डांस कर मेरे साथ। आजा।” राकेश ने प्रीती को डांस करने के लिए हाथ से खींचा ही था, जब दरवाज़े की घंटी बजी।

“दरवाज़े पर टकटकी लगाए बैठी प्रीती ने खुशी से अपना हाथ छुड्वाया और उल्हासित स्वर में कहा, “आखिर आ ही गया पित्ज़ा!” भागते हुए गई और दरवाज़ा खोला।

“नीरज… तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

“मैडम आपका आर्डर, पित्ज़ा और कोल्ड ड्रिंक्स। और आपका बिल।”

नीरज को पित्ज़ा बॉय के यूनिफार्म में देखकर सभी को अचंबा हुआ। किसी ने कुछ नहीं कहा। सभी बस अपनी जगह पर खड़े स्तब्ध होकर उसे देख रहे थे। एक अजीब-सा अहसास सबके मन में कुलबुलाने लगा था।

तभी संदीप ने पहल की: “हे नीरज, आज पूनम का बर्थडे है। कम एंड जॉइन अस यार!”

“सॉरी सर, मैं नहीं आ सकता। मुझे और भी जगह पीत्ज़ा डिलीवर करने हैं। आप प्लीज़ मेरा बिल चुकता कर दीजिए।”

पूनम ने नीरज को पैसे किए। वह कुछ नहीं बोली। अभी तक वह सदमें में थी। नीरज ने पैसे लिए और रेज़गारी वापस देते समय पूनम को जन्मदिन की बधाई दी, और वह चला गया। मगर यहाँ इनकी पार्टी में गाँठ पड़ गई। सबके दिलों में कल गुज़रे हादसे की वजह से अपराधी भाव पैदा हुआ।

“देखा तुमने, इसलिए वह कल उठकर चला गया। हम सबने उसकी माली हालत का मज़ाक उड़ाया तब उसे कितना बुरा लगा होगा यार…” “हमें नीरज से माफ़ी माँगनी चाहिए।” संदीप ने अपनी ग़लती क़ुबूल कर तय कर लिया कि सभी नीरज को सॉरी बोलेंगे। इसी सहमे माहौल में पार्टी ख़त्म हुई।

“मैं जानता हूँ कि यह आसाँ नहीं है। लेकिन प्लीज़ मुझे माफ़ कर दे।” संदीप सबकी तरफ से नीरज से क्षमा माँग रहा था। सबकी नज़रें नीरज की तरफ लगी हुई थीं। वे इंतज़ार कर रहे थे कि नीरज उन्हें माफ़ कर दे, और वे फिर से पूर्ववत महसूस करें।

“इट्स ओके गाइस,मैं आप लोगों से कभी ग़ुस्सा था ही नहीं, सो जस्ट चिल!” नीरज ने माहौल को हलका किया।

“तो फिर अब हम दोस्त हैं?” संदीप ने हाथ मिलाने के लिए आगे किया।

नीरज ने बिना हिचकिचाए उससे हाथ मिला लिया। सबमें ख़ुशी की लहर दौड़ी। आज पहली बार सबने नीरज को हँसते हुए देखा था। आज वह बालाखिर ख़ुश था।

कभी-कभी प्रतिकूल मिटटी में खिला अंकुर इसी हठीलेपन की वजह से विशालकाय पेड़ बन जाता है। शुरुआती उलझनों के बावजूद, आपसी रिश्ते के दरके की मरम्मत के बाद संदीप रोज़ नीरज के लिए खाने का डब्बा लाता और सब लोग साथ बैठकर खाते। देखते ही देखते, दोनों की दोस्ती गहरी हुई। एक दूसरे के बिना वे रहते ही न थे। अगर कोई नीरज को ढूँढ़ रहा होता तो वह संदीप से पूछता और संदीप की खोज में निकला बन्दा नीरज की तरफ रुख करता। एक दूसरे के बिना वे कुछ नहीं करते।

चूँकि नीरज अकेला रहता, संदीप उसका दिलोजान से ख़याल रखता। नीरज भी संदीप के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार था। संदीप को संगीत बहुत पसंद था। लेकिन उसके पास सादा-सा मोबाइल होने की वजह से वह हमेशा ग्रूप में किसी का मोबाइल माँग गाने सुनता और डांस भी करता। नीरज ने यह देख लिया, और फिर, संदीप के जन्मदिन पर:

“हैप्पी बर्थडे सैंडी!!। कमीने आज तू कितना बड़ा हो गया!”

दोस्तों की गिरोह में संदीप ने केक काटा और पार्टी मनाई। नीरज ने संदीप को गिफ्ट दिया: एक गेंदे का फूल।

“हे भगवान्, फिरसे गेंदे का फूल? तुझे यह गेंदे का फूल इतना क्यों पसंद है, भगवान् जाने…”

तभी फूल के नीचे छिपा संदीप को असली तोहफा मिला।

आई-पोड! वाह इट्स जस्ट सुपर्ब! लेकिन नीरज, इतना महंगा गिफ्ट?”

“अरे पागल, गिफ्ट में कीमत नहीं देखते समझे! मैं तय नहीं कर पा रहा था कि तुझे क्या दूँ। फिर लगा, मेरा जिगरी दोस्त गाने सुनने के लिए किसी और से मोबाइल मांगे, यह मुझे बिलकुल पसंद नहीं. आजसे तू जब चाहे गाने, बेझिझक गाने सुन सकता है।” नीरज भेंट को स्वीकार करने के लिए अपने अंदाज़ में संदीप को मना रहा था। संदीप का दिल भर आया। उसने नीरज को झुनझुनी चढ़ने तक गले लगाया। “यार तू मेरे बारे में कितना सोचता है। आई लव यू ब्रो!” यह सुनकर नीरज बहुत ख़ुश हुआ।

वह कुछ और बोले, उससे पहले पूनम वहां आ गई और उसने संदीप को लाल गुलाब देते हुए सालगिरह की मुबारक बात दी।

आई पोड या लाल गुलाब… कौनसा तोहफा आएगा संदीप को ज्यादा पसंद? पढ़ें ‘आधा इश्क’ कथा का चौथा हिस्सा, अगले सप्ताह!