कुछ तो बात थी उसमें, वर्ना घर से इंटरव्यू का बहाना बनाके, 500 किलोमीटर की दूरी तय करना, मुझ जैसे डरपोक इंसान के लिए मुमकिन नहीं था।
हाँ, मैं उससे मिला, जब पहली बार नज़रें मिली तो उसने नज़रें चुरा ली, शायद एक अजीब सा डर या बेचैनी थी उसके मन में। खैर पहली मुलाक़ात अच्छी रही, उसने मुझे सब कुछ बताया अपने बारे में, वो दिल का अच्छा इंसान है, पर रिश्ता जोड़ने से डरता है।
‘आखिर क्यों?’ मैंने उत्सुकता भरे स्वर में पूछा।
फिर उसने मुझे समझाया कि बड़ी मुश्किल से वो खुद को संभाल पाया है, बहुत वक़्त लगा उसे खुद को अंदर से मज़बूत बनाने में, इसलिए वो सिर्फ दोस्ती तक सीमित रहना चाहता है। मैंने भी हामी भर दी, दोस्त ही सही पर उसका साथ मुझे अच्छा लगता है, उसकी बातें मुझे पसंद आती है।
जब हम एक ही बिस्तर पर थे, उसके बदन की महक मेरे दिलो दिमाग पर जादू कर देती थी।उसकी बाहों में बाहें डाले, उसकी छाती पर अपना सिर रखकर उसके दिल की धड़कन को सुनकर महसूस करना, मुझे बेहद पसंद आया।हम साथ में घूमे, खाया-पीया, शॉपिंग भी की और एक दूसरे की पसंद-नापसंद को जानने का मौका भी मिला।
फिर समय आया वापिस अपने अपने शहरों में लौटने का, पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर मैंने अपने दिल को समझा लिया कि मुझे भी इसे मज़बूत बनाना है। न जाने अब अगली मुलाकात कब हो?
पर पहली मुलाक़ात में वो मुझे बहुत कुछ सिखा गया ।
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