Transgender Dancers who performed Gidda during the flash mob (Picture Credit: Gitanjali Arora)

Hindi

कविता : ये डरता है हिजड़ों से !

By आदित्य अहर्निश

March 13, 2024

एक बात हमेशा ध्यान रखनाबच्चों के मन में कभी भीकोई ग़लत बात मत बैठानावो चीजें जीवनभर नहीं छोड़तीं,

कुछ बड़े बैठा देते हैंबच्चों के मन मेंबेवजह का डर..वो डर कभी नहीं निकलताऔर जो होते हैं संवेदनशीलउनके लिए ये मनोरोग बन जाता है !

हिजड़ों का जो डरमेरे मन में, मेरे जहन मेंबचपन में बैठाया गयावो अभी तक नहीं निकला हैजबकि मैं स्नातक के अंतिम वर्ष में हूं

अभी भी दूर से भी उन्हें देख लूंतो हाथ पैर इतने बुरे कांपते हैंकि क्या बताऊं !

एक बार तोमैं उन्हें देखते हीकमरे में आकर रोने लगा था

बचपन मेंमैं जब-जब उन्हें कहीं भी देखता थाकांपते पैरों से वहां से भाग जाता थावो भी बहुत दूर…

मुझे अब भी वो डर याद हैजब मुझे उस गली (जिसमें उनका घर था)के पास ले जाकरहद से ज्यादा डराया जाता थाजब मैं भाई की साइकिलके पीछे बैठकर घूमा करता था

और इससे बड़ी बात क्या होगी किमेरे ही भाई द्वारा बचपन मेंरिश्तेदारी और गली में भीयह बात बहुत ही मसखरे अंदाज मेंबतायी गयी किये डरता है हिजड़ों से !

मैं कभी भी किसी के मन मेंडर नहीं बिठाऊंगाअपने अपराध और मुझे समझने की जगहइस बात पर मेरा परिवार हंसता था मुझ पर

आज भी खुद को, जब याद आता हैतब ही समझाता हूं हर बारकि मत डराकर उनसे,वो भी तो हैं इंसान

पर दिमाग नहीं मानता हर बारहालांकि परिवार भी समझाता है अबपर जो बात बैठ गई वो बैठ गई..

मेरे मन में बिठाया गया उनका डरग्रंथि बना बैठा है नस-नस तकजो पता नहीं कब दूर होगा…।