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Hindi

कविता : मुझको मुझसे मिलने दो

By अनामिका बर्मन (Anamika Burman)

June 13, 2019

एक अरसा हुआ अब तो मुझको मुझसे मिल लेने दोइस समाज और इस सोच से अब तो कुछ पल चैन की मुझको भी जी लेने दो।

कैसे समझाऊँ कि कितना तड़प रहा हूँ? इस झूठी पहचान को खुद पर थोपते -थोपते, अब तो मुझे भी खुले आसमान के नीचे बाहें अपनी फैला लेने दो।एक अरसा हुआ अब तो मुझको मुझसे मिलने दो।मुझे भी हस लेने दो, मुझे भी प्यार करने दो, मुझे भी उसका हो लेने दो उसको भी अब मेरा हो लेने दो।

कब तक यूँ घुट-घुट कर खुद को समझाता रहूँ?इस घुटन की कैद से मुझको भी आज़ाद हो लेने दो।एक अरसा हुआ अब तो मुझको मुझसे मिलने दो।

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