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Hindi

कविता: अरमान

By Amit Rai

April 16, 2021

फ़ासलों से परेशान तेरा इंतज़ार करता है कोईयक़ीन कर बेइंतहा प्यार तुझे करता है कोई

अब तूँ नहीं तो तेरी मुस्कान याद आती है कभीकबसे हूँ तनहा वही चेहरा दिखा जा कभी

जब मिले थे तब और छूने का एहसास कर लेताशायद फिर दिल इस कदर बेचैन न रहता

तेरी लबों कि वो नरमाहट याद है मुझेआघोश में खो जाने के हालत याद हैं मुझे

मेरे गालों को सहलाने का तेरा वो अन्दाज़वही ख़्वाइश वो बेक़रारी हो रही है आज

तेरी आँखों में वो बदमाशियों का राज़जब तक जाना आगे बड़ चुके थे जज़्बात

बदन को तेरे मुझे पाने की वो प्यासटकराती रही तेरे झूटे बहानो से उस रात

फिर जब मेरी आहें पुकारने लगीं तेरा नामतेरी बाहों में सिमट कर मुझे मिला आराम

प्यार करने में तूने भी कोई कसर न छोड़ीतेरी उँगलियाँ मेरी उँगलियों से इस तरह जोड़ी

सासें गरमाने से आहें थमने तक सब याद है मुझेमेरी हर अनकही चाह कि परवाह करना याद है मुझे

फिर चले आ कुछ अरमान बाक़ी हैं अभीथोड़ी सी ज़िंदगी साथ बितानी बाक़ी है अभी