Bengaluru Pride March 2017 (Picture by Haris Manian)

Hindi

कविता : वजूद

By रितिक चक्रवर्ती (Ritwik Chakravarty)

November 06, 2019

सोच रहा था तनहा क्या था मुझ में कुछ अनोखा? क्या कुदरत ने ऐसा मुझे बनाया? या इस समाज ने जताया?

जब सब ने मुझे ठुकराया, तब मैंने खुद को अपनाया। प्रीतम होकर मैंने, प्रीतम संग प्रेम निभाया।

पर ना जाने क्यों दुनिया को,हमारा प्रेम नहीं समझ में आया।जब दुनिया ने मुझे मुझसे भरमाया,तब मैंने अपना ‘वजूद’ अपनाया।