कपिल कुमार

'उन्होंने कुछ नहीं कहा' - एक कविता | तस्वीर: सेंतिल वासन | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“उन्होंने कुछ नहीं कहा” – स्वगत कथन

प्रस्तुत है इस स्वगत-कथन की उत्तर-कृति: वह चुपचाप होने वाली बातें जो होकर रह गयी हैं: वक़्त के तले में अब भी चिपकी हुई हैं। वो कुछ न कह सके हम कुछ न कह सके; कभी... Read More...
'वापसी' (२/२) | तस्वीर: ग्लेन हेडन |

“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग २/२)

कहानी की पहली किश्त यहाँ पढ़ें। उसका घर, घर जैसा था। फिर बातें हुई, बहुत-सी बातें, कुछ जरुरी थी, कुछ ग़ैर-जरुरी, कुछ याद हैं, बहुत-सी नहीं भी। उन बातो का सार यही... Read More...
'वापसी' (१/२) | तस्वीर: क्लेस्टन डीकोस्टा | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग १/२)

एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। "एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।" कोई चेहरा नहीं। बस ... Read More...
'नर्म हाथ' - एक लघुकथा | तस्वीर: ग्लेन हेडन

नर्म हाथ (एक लघुकथा)

इतने सालो में सब बदल गया होगा: उसकी हँसी, उसकी बातें, सब बदल गया होगा। अब वो मिले तो शायद मुझे नए सिरे से अपनी तलाश शुरू करनी होगी... कि 'वो है... या नहीं ?'।
तस्वीर: राज पाण्डेय, सौजन्य: QGraphy

‘उन्होंने कहा था’: स्वगत कथन

तस्वीर: राज पाण्डेय, सौजन्य: QGraphy ये बातें उस दौर की हैं जिसे गुज़रे ज्यादा समय नहीं बीता है। पर इतना कुछ बदल चुका है, कि ये बातें किसी और ही सदी की ल... Read More...
ताज महल - एक लघुकथा | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy

ताज महल (एक लघुकथा)

ताज महल - एक लघुकथा | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy "तुमने ताज महल देखा है?" "हाँ।" "ऐसे नहीं.... रात को ?" "नहीं। क्यों ?" "पच्चीस साल पहले ,मेरी... Read More...