इस लेख का उद्देश्य समलैंगिकता की पेचीदगियों का पता लगाना, इससे जुड़े आम मिथकों को दूर करना और एलजीबीटीक्यूआईए+ व्यक्तियों के लिए अधिक समावेशिता और सम्मान की वकालत करना है।
जब किसी ऐसे शख़्स के बारे में कोई ड्रामे बनाया जाए जिसने किसी दूसरे मर्द से मुहब्बत करने का ख़ुद अपनी आपबीती में ज़िक्र किया हो और उस ड्रामें में उसकी इस मुहब्बत को नकारा जाए तो साफ़ ज़ाहिर होता है कि बनानेवाले का इरादा जान-बूझकर उसकी इस फ़ितरत को छुपाने का है
यह कहना कि, विश्व के अलग-अलग हिस्सों में लैंगिक अनुरूपता अलग-अलग दिखायी देती है, बहुत छोटी बात लगती है। लेकिन समलैंगिकों के प्रति भी सांस्कृतिक और व्यक्तिगत नजरिया व्यापक रूप से भिन्न है।
बाइनरी अंक से कंप्यूटर चल सकते हैं, इंसान नहीं। गे होने या न होने का सवाल न्याय से शुरू होकर लोकतांत्रिक मूल्यों तक पहुँचा है। ये ज़रूरी है क्योंकि इससे हम किसी भी लैंगिकता को सामान्य और आधुनिक परिप्रेक्ष का हिस्सा समझ कर अपनाएँगे।
LGBTQIA + समुदाय के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए स्टोनवॉल में 50 साल पहले जो नींव रखी गयी, उसपर आइए नज़र डालते हैं कि हम समावेशिता, प्र... Read More...
ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं कागज़ पेन से नहीं, दिल से बयां करता हूँ।लड़का हूँ और लड़के से प्यार करता हूँ।।
समलैंगिक हूँ कोई अभिशाप न... Read More...