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कविता : गे होना पाप नहीं

Picture Devesh Khatu / QGraphy

आओ आज उनके बारे मे बात करे
जिनके बारे मे बाते करने से कतराते हैं ।
आओ मिलकर किसी के हक के लिए लड़ें!

गे होना पाप तो नहीं
अपने दिल की बात बताना अपराध तो नहीं !
क्यों हमें अपना प्यार इज़हार करने का हक नहीं ?
क्या हमारे पास दिल नहीं ?

गे हूँ, हेवान तो नहीं ।
गे होना पाप तो नहीं !

लोग क्यों करतें हैं हमसे नफरत ?
क्या हम इन्सान नहीं ?
लोग क्यों नही करते हैं हमारी इज़्ज़त?
क्या हम इस समाज के लायक नहीं ?
क्यों समाज मे हमारी पहचान नहीं ?
क्या हमें भगवान ने बनाया नही ?

क्यों लोग हमें बुलाते हैं मीठा और न जाने क्या-क्या
क्यों हम नाम के लायक नहीं?
गे होना पाप तो नहीं!

क्यों हम अपने हिसाब से अपनी जिंदगी नहीं जी सकते ?
क्या हमें जीने का हक नहीं?
गे होना पाप तो नहीं !

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