Gay Kavita

कविता: हम उनको जगाते हैं

समलैंगिक संबंध और शादी ही नहीं, शिक्षा और रोज़गार का गीत गुनगुनाते हैं, बहुत सो चुके हैं लोग, अब हम उनको जगाते हैं I
crying eye

कविता : दद्दा

मैं ढूँढता रहता हूँ ख़ुद को, शराब की ख़ाली बोतलों में. लुढ़के हुए गिलासों, जूठी तश्तरियों में