Aquila Khan

"जब मैं बुर्का पहनकर..."

जब मैं बुर्क़ा पहनकर…

'स्क्रिप्ट्स', नं १५, दिसंबर २०१५ में प्रथम प्रकाशित। छाया: ब्रूनो गताँ /क्वीयर आजादी २००९ /तस्वीर केवल निरूपण हेतु "जब मैं बुर्का पहनकर..." … हॉल में दाख़ि... Read More...
तस्वीर: बृजेश सुकुमारन

बोझ नज़र का – एक कविता

तस्वीर: बृजेश सुकुमारन - अक़ीला ख़ान तुम्हारी नज़र मुझमे ऐसी गड़ी ठिटक कर मैं साकित-सी रह गई खड़ी कोई नश्तर-सा पेवस्त बदन में हुआ निगले जाने का अहसास तन में ... Read More...

Aquila Khan

अकीला को उर्दू शायरी से बहुत लगाव है – लिखना भी और पढ़ना भी। साथ ही नये मुद्दों को समझने और उनपर चर्चा के लिए जगह बनाने में उन्हें ख़ास दिलचस्पी है। इन मुद्दों पर आने वाले समय में अकिला ज़रूर फिल्म बनाना चाहेंगी।