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कविता : ये डरता है हिजड़ों से !

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Transgender Dancers who performed Gidda during the flash mob (Picture Credit: Gitanjali Arora)

एक बात हमेशा ध्यान रखना
बच्चों के मन में कभी भी
कोई ग़लत बात मत बैठाना
वो चीजें जीवनभर नहीं छोड़तीं,

कुछ बड़े बैठा देते हैं
बच्चों के मन में
बेवजह का डर..
वो डर कभी नहीं निकलता
और जो होते हैं संवेदनशील
उनके लिए ये मनोरोग बन जाता है !

हिजड़ों का जो डर
मेरे मन में, मेरे जहन में
बचपन में बैठाया गया
वो अभी तक नहीं निकला है
जबकि मैं स्नातक के अंतिम वर्ष में हूं

अभी भी दूर से भी उन्हें देख लूं
तो हाथ पैर इतने बुरे कांपते हैं
कि क्या बताऊं !

एक बार तो
मैं उन्हें देखते ही
कमरे में आकर रोने लगा था

बचपन में
मैं जब-जब उन्हें कहीं भी देखता था
कांपते पैरों से वहां से भाग जाता था
वो भी बहुत दूर…

मुझे अब भी वो डर याद है
जब मुझे उस गली (जिसमें उनका घर था)
के पास ले जाकर
हद से ज्यादा डराया जाता था
जब मैं भाई की साइकिल
के पीछे बैठकर घूमा करता था

और इससे बड़ी बात क्या होगी कि
मेरे ही भाई द्वारा बचपन में
रिश्तेदारी और गली में भी
यह बात बहुत ही मसखरे अंदाज में
बतायी गयी कि
ये डरता है हिजड़ों से !

मैं कभी भी किसी के मन में
डर नहीं बिठाऊंगा
अपने अपराध और मुझे समझने की जगह
इस बात पर मेरा परिवार हंसता था मुझ पर

आज भी खुद को, जब याद आता है
तब ही समझाता हूं हर बार
कि मत डराकर उनसे,
वो भी तो हैं इंसान

पर दिमाग नहीं मानता हर बार
हालांकि परिवार भी समझाता है अब
पर जो बात बैठ गई वो बैठ गई..

मेरे मन में बिठाया गया उनका डर
ग्रंथि बना बैठा है नस-नस तक
जो पता नहीं कब दूर होगा…।

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