Gay Poem

LGBT Pride India, Gay Pride, Punjab Transgender

कविता : ये डरता है हिजड़ों से !

एक बात हमेशा ध्यान रखनाबच्चों के मन में कभी भीकोई ग़लत बात मत बैठानावो चीजें जीवनभर नहीं छोड़तीं, कुछ बड़े बैठा देते हैंबच्चों के मन मेंबेवजह का डर..वो डर क... Read More...

Poem: Role Play

I'm tired of this role playPlaying our roles like we are both okayPracticing our fake smiles when see each otherTreating each other like a wind or whatever... Read More...

कविता: हम उनको जगाते हैं

समलैंगिक संबंध और शादी ही नहीं, शिक्षा और रोज़गार का गीत गुनगुनाते हैं, बहुत सो चुके हैं लोग, अब हम उनको जगाते हैं I

कविता: रिश्ते

जो समाज कि नज़र से न डरते थे कभी, वो "लोग क्या कहेंगे" सोच के झिजकते भी हैं

कविता: एक ऐसी दुनिया

मुझे हँसी आती है इस बात पर कि कैसे कुछ लोग आज भी दो पुरुषों के प्रेम को पाप समझते हैं