रोशनदानों की रोशनी सी पुलक-पुलक मैंने इबादत पढ़ी है जो
परवरदिगार इसका तू और आयात तेरे अफ़साने।
जावेदा-सी नहीं है ये शमा कोई,
तेरी जुस्तजू में आफ़ताब-सा मेरा हिय... Read More...
ढाला गया हूँ उसी सेजिस मिट्टी से वजूद है तुम्हारालाल खून हमाराऔर लाल ही तुम्हारा
चाहता हूँ प्यार पानातुम भी तो चाहते होहै जीने की ख्वाहिशदोनों में यकसाँफिर क... Read More...
'रिवाज' - एक कविता | छाया: आकाश मंडल | सौजन्य: QGraphy
कई दिनो से वो एक दुसरे को जानते थे
अच्छी तरह न सही
पर एक दूसरे के अस्तित्व में होने को तो
वो ज... Read More...
सन्नाटा
दिल के तख़्त पर महफूज़ रखा था
मेरी हर नन्हीं सी ख्वाहिश को
मेरे छोटे से इन हाथों में
दिया तुमने जग यह सारा
हर क़दम चला तेरे साए में
तेरे आँचल में मैं... Read More...