बहुत कोशिश करता था खुद को बदलने की, लड़को की तरह रहने की, चलने की, बात करने की पर हर बार मैं वही हरकत करता जो मुझे अछी लगती। इस वजह से स्कूल में हँसी का पात्र बन गया
सुरेश उसकी सच्चाई नहीं जानता था इसलिए गुरमीत को डर था कि कहीं वो उसे खो ना दे क्योंकि इससे पहले गुरमीत ने कभी खुद को इतना खुश और कम्फ़र्टेबल महसूस नहीं किया था