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कविता: हम उनको जगाते हैं

समलैंगिक संबंध और शादी ही नहीं, शिक्षा और रोज़गार का गीत गुनगुनाते हैं, बहुत सो चुके हैं लोग, अब हम उनको जगाते हैं I

कविता: उम्मीद

मेरे तकिए की नमी ये गवाह देती है कि, टूटके, बिखरके, मैं कैसे सिमटता हूँ

समलैंगिक पीड़

मीठा कहते है लोग पर, आता नहीं कोई प्रेम की मीठी खीर लेके

कविता: गे देटिंग एप्प

हरकोई यहाँ पे सेक्स के लिए नहीं होता, कोई होता सच्चे दोस्त ओर अपने साथी के तलाश के लिए

कविता: एक सिमटती हुई पहचान

मिल गई हमें सांवैधानिक सौगात, तीसरे दर्जे के रूप में, आखिर कब मिलेंगे बुनियादी अधिकार, भारतीय नागरिक के स्वरूप में?

Disney+/Hotstar का ‘द एम्पायर’ और तारीख़ से दोजिंसपसंदी (बाईसेक्सुअलिटी) मिटाने की कोशिश

जब किसी ऐसे शख़्स के बारे में कोई ड्रामे बनाया जाए जिसने किसी दूसरे मर्द से मुहब्बत करने का ख़ुद अपनी आपबीती में ज़िक्र किया हो और उस ड्रामें में उसकी इस मुहब्बत को नकारा जाए तो साफ़ ज़ाहिर होता है कि बनानेवाले का इरादा जान-बूझकर उसकी इस फ़ितरत को छुपाने का है

समलैंगिक और समाज

ये आज़ादी तो बस नाम की जो सलाखो से बचाती है, पर समलैंगिको को तो घरो में कैद हर बार किया जाता है..

गे डेटिंग, हुकउप और कोरोना

कोरोना काल में बस कुछ सावधानी भरे नियमों का पालन कर... हम अपने डेटिंग पार्टनर के साथ सेक्स को आज़ाद और रूहानियत एहसास के साथ करना शुरू कर सकते है।