एतदधीन है दिल्ली क्वियर प्राइड २०१६ का बयान:

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27 नवम्बर को दिल्ली में नौंवी गौरव यात्रा (प्राइड मार्च) का आयोजन होंगा। हम उत्सव मनाते हैं कि हमारी आतंरिक और बाहरी सामाजिक परेशानियों से लड़कर, उनसे जीतकर जब हम गरिमापूर्ण जीवन जीकर प्रगति करते हैं। साथ ही यह ट्रांस, गे, लेस्बियन, बाइसेक्शुअल, इंटरसेक्स और अन्य विभिन्न जेंडर और यौनिक पहचानों के व्यक्तियों के साथ हो रहे भेदभाव और उत्पीडन के विरोध में जुलूस भी है।

हम निंदा करते हैं उच्चतम न्यायालय के नालसा निर्णय में चिह्नित सुरक्षा प्रणाली का क्रियान्वन न होने की, बहुत बुरी तरह लिखे गए ट्रांसजेंडर अधिकार बिल की, और हम में से कई लोगों को अपराधी करार करने वाले सेक्शन 377 की। साथ ही हम स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, घर, सार्वजनिक स्थानों, दोस्तों या परिवार में हमें डर और निरादर में कैद करने वाली सामाजिक संरचनाओं को तोड़ने का प्राण करते हैं।

और इस वर्ष हम आज़ादी पर रोक लगाने और कई लोगों की अधीनता की पुष्टि करने वाली युद्धात्मक, खोखली देशभक्ति के साये में हैं। कश्मीर में अनगिनत लोगों की मौत और कई और की आँखें चली जाने से लेकर ऊना में गौ रक्षकों द्वारा दलितों पर अत्याचार। हमारी आज़ादी पर खोखले राष्ट्रवाद रोज़मर्रा के आतंक और दक्षिण पंथियों का हमारे विश्वविद्यालयों पर आघात। प्राइड शायद ही कभी इस से कठोर वक़्त में रही होगी। इसीलिए आज हम दृढ़ता से कहना चाहते हैं की प्राइड सभी के लिए आज़ादी और गरिमा से जुड़ा है।

तो रविवार को हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना के साथ सड़क पर उतरेंगे जो कि जातिवाद-विरोधी, और नारीवाद एवं यौनिकता तथा शरीर के प्रति सकारात्मक हो। हम दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं, विकलांगों, कश्मीरियों, उत्तर पूर्व के व्यक्तियों, आदिवासी समुदाय, शिक्षकों, फिल्मकारों और विद्यार्थियों के प्रतिरोध की उमड़ती लहर के समर्थन में हैं। इस वर्ष हम ऐसी आज़ादी को नकारते हैं को शर्तों के साथ आये और सभी के लिए न्याय की मांग करते हैं। हम में से एक भी आज़ाद नहीं, तो कोई आज़ाद नहीं।

हमारी मांगें –

  • लिंग, उम्र, वर्ग, जाति, धर्म, जनजाति, विकलांगता, जातीयता, जेंडर पहचान और यौनिकता के आधार पर भेदभाव न हो।
  • उच्चतम न्यायालय की नालसा निर्णय का क्रियान्वन हो और वर्तमान ट्रांसजेंडर अधिकार बिल को वापस लिया जाए।
  • अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हिंसा, मतभेद ज़ाहिर करने की आज़ादी पर रोक, और राष्ट्रवाद के नाम पर धमकियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई।
  • भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 377, हिजड़ा व्यक्तियों और भिक्षावृति के खिलाफ कानूनों, AFSPA और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA ) और राज द्रोह के कानून का खंडन, और वैवाहिक बलात्कार को गैरकानूनी करार करने पर आपत्ति का विरोध किया जाए।

दिल्ली क्वीयर प्राइड समिति एक स्वैछिक समूह है जो सामुदायिक लागत से दिल्ली क्वीयर प्राइड और उस से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करता है। दिल्ली क्वीयर प्राइड क्वीयर समुदाय और उसके समर्थकों को साथ लाती है।

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