शृंखलाबद्ध कहानी: “आदित्य”: भाग १

आदित्य - एक कहानी

आदित्य – एक कहानी. तस्वीर: बृजेश सुकुमारन

मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं

 

अक्सर नेट दोस्तों से बात करते हुए वो आदित्य के बारे में पूछते हैं कि कौन है आदित्य? काफ़ी सोच विचार के बाद यह निर्णय लिया कि अब आदित्य का परिचय सब लोगों से करवा देना चाहिए। आदित्य मेरे तन मन में रहने वाला वह इन्सान है जिसनें मुझे बताया कि प्यार क्या होता है। मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं।

आदित्य मेरी कल्पना है, वो मेरी मंजिल है ,जहां मुझे जाना है। वो मेरे रोम रोम मे समाया हुआ है तभी तो मेरी सांसें चल रही हैं। वो मुझे खुश होता देख के हमेशा खुश होता है और दुखी देख के हमेशा उदास और परेशान्। वो मेरे जीवन की प्रेरणा है, मेरा आत्मविश्वास है, मेरा आत्मबल है। किसी ने सच ही कहा है।

प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता। प्यार तो अपने आप हो जाता है। दिन और रात… धरती और आसमान, एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं। सन -सन करती हवाएं, सुन्दर नजारे, फूलों की खुशबू … सभी में छिपा होता है प्यार… कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं, तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं। प्यार एक ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है। प्यार पर किसी का वश नहीं होता…. अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं तो डूबिये किसी के प्यार में … दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है ढाई आखर का प्यार… जब आप भी किसी को चाहने लगते हैं तो उसके दूर होने पर भी आपको नजदीक होने का अहसास होने लगता है , हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करते हैं, कोई पल ऐसा न गुजरता होगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहता हो … यही तो होता है प्यार… सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास। पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं। यह शब्द छोटा होते हुए भी सभी शब्दों में बड़ा महसूस होता है। केवल इतना सा अहसास मात्र ही आपको तरंगित कर देगा कि मैं उससे प्यार करता या करती हूं …

प्रकृति भी बडी अजीब है इसके कई रूप है और यह भी जब बच्चे की भाँति शरारत करना चाहती है तो बहुत कुछ ऐसा कर डालती है जो प्राकृतिक नियमों का एकदम विपरीत होता है, परन्तु कोई चीज जो समाज में उपस्थित है तथा जिसके बारे में समाज के लोगों को पता है तथा विश्व के कई देशों में जिस चीज को सामान्य माना जाता है, वह प्राकृतिक अपवाद कैसे हो सकती है। मेरा मानना है कि इस संसार में जो कुछ हो रहा है, हो रहा था या भविष्य में होगा ईश्वर द्वारा संचालित इस ब्रह्माण्ड में ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा होगा। ईश्वर के द्वारा ऐसा किए जाने के पीछे कोई कारण होगा यही सोच कर मैं इस सत्य को स्वीकार करता हूँ, मुझे भी प्रेम था उससे, जिसने मेरे न मिलने पर खुद को खत्म कर लिया। हमेशा के लिए इस संसार से नाता तोड़ लिया। उस घटना के घटित होने पर सिहर सा गया था मैं लेकिन ईश्वरीय इच्छा मान कर सोचा भूल जाऊँगा इस घटना को, लेकिन इतना अधिक करीब 30 साल का समय बीत जाने पर भी ऐसा लगता है जैसे वह मुस्कुरा रहा है। उसकी हँसी अभी भी याद है मुझे खामोशी में ऐसी गूँजती थी जैसे हवा चलने पर फूलों की टकराहट से एक खुश्बू सी आ गई हो। वह बहुत ही ज्यादा चंचल था, हमेशा ही खुद हँसते रहना और अपनी हँसी से दूसरों को हँसाते रहना, अलग-अलग टापिक पर घंटों लेक्चर देते रहना, नई-नई बातों की जानकारी देना यह उसकी फितरत थी। वह जब भी हमारे घर आता हमारे घर की वीरानगी दूर हो जाती और जैसे घर के कोने-कोने में हँसी की खिलखिलाहट आ गई हो ऐसा माहौल हो जाता। वह अक्सर मेरे पास ही आता हालाँकि वह मेरा दोस्त नहीं था मेरे छोटे भाई विजय का दोस्त था फिर भी न जाने क्यों मेरे पास ही आकर बैठता, वह मुझे भईया कह कर पुकारता था। जैसे ही मेरे कानों में भईया की आवाज आती, मुझे पता लग जाता कि मेरे घर में तूफान आ गया है। लेकिन मैने हमेशा उसकी एक आदत को देखा जो उसके स्वभाव के एकदम विपरीत थी। वह जब भी मेरे पास बैठा होता ,बहुत ही शान्त होता खास तौर से ऐसे समय पर जब घर में मैं अकेला होता और वह मेरे पास आकर बैठता। उसकी उस आदत का राज क्या था? यह आगे चल कर मुझे पता लगा। उसकी इसी आदत का दूसरा हिस्सा यह भी था कि जब वह मेरे पास बैठा होता और मैं उसके पास बैठ कर कोई काम कर रहा होता या पढ़ ही रहा होता तो वह चुपचाप खामोशी से अपनी मझोली आँखों से मुस्कुराते हुए मुझे लगातार निहारते रहता, कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती थी जिसके बारे में वर्णन कर पाना भी शायद मेरे लिए सम्भव न हो लेकिन एक कोशिश करता हूँ कभी कभी वह जब मुझे घूर रहा होता और मैं अचानक ही काम की तरफ से ध्यान हटा कर उसकी तरफ देखता तो हमारी नजरें एक दूसरे से टकराती, ऐसा लगता जैसे आँखें एक दूसरे में कुछ खोजने की कोशिश कर रही हों, ऐसी स्थिति बड़ी विचित्र सी हो जाती क्योंकि नजरें जब किसी लड़की से टकराऐं तो कुछ कल्पना की जा सकती है लेकिन यह स्थिति ऐसी होती थी कि दोनों कि आँखें एक दूसरे को देखे जा रही होती थीं मुझे बड़ा ही असहज सा और अटपटा सा लगता था लेकिन उसकी आँखों को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे किसी लड़की की झील सी गहरी बहुत गहरी आँखों में देख रहा हूँ। लगता जैसे वह आँखें मुझ से कुछ कहना चाह रही लेकिन जिव्हा अभाव के कारण कुछ भी कह पाने में अस्मर्थ हैं, लेकिन यह स्थिति कुछ छ्ड़ों के लिए या कुछ सैकंडों के लिए ही होती क्योंकि फिर वह अजीब सी सूरत बना कर जैसे उसके चेहरे पर कुछ शर्माहट के भाव है ऐसा प्रतीत होता हो के साथ अपनी आँखों को झुका लिया करता या दूसरी तरफ देखने लगता और यह कोई एक बार की ही बात नहीं थी, ऐसा कई बार हुआ।मुझे कई बार सोचने के लिए विवश होना पङा कि ऐसा क्यों होता है कि उसकी आँखों में डूब जाने का मन करता है यानि मन करता है लगातार उन आँखों को देखता रहूँ जो मुझ से कुछ कहना चाहती हैं और जान लूँ उस बात को जो वह मुझ से कहना चाहती हैं।लेकिन मैंने कहीं पढ़ा था कि किसी किसी की आँखों में आकर्षण शक्ति अधिक होती है, यही सोच कर कि उसकी आँखों में भी शायद यही बात हो मैं अपना ध्यान अन्य कामों कि तरफ लगा लेता मैं इतनी देर से उसके बारे में बता रहा हूँ कि वह ऐसा था, वह वैसा था, उसकी यह आदत थी, उसकी वैसी आदत थी लेकिन अभी तक यह नहीं बताया कि वह था कौन? तो सबसे पहले उसके रंग रूप के बारे में बताता हूँ। चेहरा गोल था रंग साँवला था यानि कि गेहुँआ पर होठों की एक खासियत थी और वह यह थी कि उसके होंठ बाकि लोगों से कुच ज्यादा ही लाल या गुलाबी थे और यह मैं पक्के तौर से कह सकता हूँ कि वह होठों पर लिपिस्टिक तो बिल्कुल भी नहीं लगता था। उसके चेहरे कि रंगत ऐसी थी कि हमेशा चेहरे पर खुशी छाई रहती थी और उसके चेहरे की मुस्कुराह्ट से दूसरों के चेहरे पर भी रंगत आ जाया करती थी। उसकी आँखें न तो बहुत बङी थी और न ही बहुत छोटी, वह मझले आकार कि थी। चेहरे पर मुहाँसों के कुछ दाग जरुर थे लेकिन वह चेहरे कि त्वचा से मिले हुए थे इससे पता नहीं चलते थे। चेहरे की बनावट ऐसी थी कि चेहरा देखने वाला कोई भी इंसान कह उठे कितना मासूम चेहरा है, मासूमियत तो चेहरे पर ऐसी छाई होती थी कि बार-बार चेहरा देखने का मन करे। बाल भी बहुत फैसनी नही थे, बहुत ही साधारण से थे, उसके चेहरे कि हिसाब से बाल अच्छे लगते थे, बालों का रंग गहरा काला था। शरीर भी बहुत अधिक लम्बा नहीं था और नाटा कद भी नहीं था। औसत कद कहना उचित होगा। शायद ही कभी उसे गुस्सा होते हुए देखा हो एक देम चंचल स्वभाव, अप्ने घर में अपने माँ-बाप की पहली औलाद और एक छोटी बहन का भाई। हम लोग कई साल पहले यहाँ रहने आ गए थे लेकिन वह लोग हम लोगों से पहले से ही यहाँ रह रहे थे। हालाँकि तब मेरा छोटा भाई विजय जो मुझ से तीन साल छोटा है काफी छोटा था, मैं भी छोटा ही था लेकिन कुछ समझदारी तो आ ही गई थी। विजय और आदित्य बचपन से ही दोस्त थे और पढ़ने के मामले में दोनो का स्वभाव एकदम एक दूसरे के विपरीत, आदित्य जहाँ पढ़ने में हमेशा अव्वल रहा, विजय हमेशा ही थर्ड क्लास नम्बर लेकर पास होता लेकिन दोनों कि दोस्ती में इस बात से कभी कोई फर्क नहीं आया। आदित्य का घर हमारे घर के सामने था और आदित्य के मम्मी पापा मिस्टर यादव और मिसिज यादव बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे। हम लोगों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना था और हमारा एक दूसरे के साथ व्यवहार एक परिवार की भाँति ही था।

अब मैं जिस घटना का जिक्र करने जा रहा हूँ वह उस समय की है जब मैं एम ए के पहले वर्ष में पढ़ रहा था। उस समय आदित्य ने रेगुलर कालेज में बी काम में और विजय ने पत्राचार विश्वविद्यालय के बी ए कोर्स में प्रवेश ले लिया था । मै। बहुत ही शान्त स्वभाव का था और किसी से फालतू बातें नहीं करता था इसीलिए हमेशा पढ़ने में ही लगा रह्ता था, मेरे कुछ दोस्त तो मुझे किताबी कीड़ा भी कहते थे। इसी बीच एक बात सुनने को मिली लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। उस घटना का वर्णन कुछ इस प्रकार था आदित्य के पापा को कुछ ढूढ़ते हुए आदित्य की अल्मारी से अंग्रेजी अक्षर के जे अक्षर का एक लाकेट मिला जिसके साथ एक लव लैटर या प्रेम पत्र भी था जिस पर लिखा हुआ था हम आप से बहुत प्यार करते हैं। आई लव यू। आदित्य कालेज के अपनी एक साथी का हमारे सामने हमेशा जिक्र करता था जिसका नाम प्रिया था लेकिन प्यार से सभी उसे जैनी कहते थे। जब मुझे इस बात का पता लगा तो मुझे लगा कि आदित्य शायद जैनी को चाहता हो और उसी के बारे में यह सब घटना क्रम घटित हुआ। मुझे यह भी पता चला कि आदित्य के पापा ने उसको इसके लिए काफी डांटा था, कि अभी अपना ध्यान पढ़ने में लगाओ और प्यार व्यार के चक्कर में मत पड़ो अगर अपनी जिन्दगी बनानी है तो, वरना मन में जो आये वो करो। मेरे लिए इस घटना का कोई महत्व नहीं था इसीलिए मेरे लिए यह बात आई गई हो गई।

एक दिन हमउम्र कुछ लोगों का एक ग्रुप हमारी छत पर बैठा था और हम लोगों में प्यार विषय पर ही चर्चा हो रही थी वहाँ पर विजय और आदित्य भी बैठे हुए थे। तभी एक प्रश्न खड़ा हुआ कि अगर आप प्यार करते हैं तो क्या करें? सभी का एक ही मत था कि अगर प्यार किया जा रहा है किसी को मन ही मन चाहा जा रहा है तो अपने प्यार का इजहार करना जरूरी है, क्योंकि तभी दूसरे पक्ष को पता लगेगा कि कोई उसे चाहता है, किसी के दिल में उसके लिए संवेदनायें और भावनायें है। तभी आदित्य ने कहा सच में ही अगर हम किसी को चाहते हैं तो हमें अपने प्यार का इजहार करना चाहिए। मेरे एक दोस्त आनन्द ने उसे समझाते हुए कहा देखो अगर आप किसी से अपने प्यार का इजहार करते हो तो आपको दो उत्तर ही मिलेंगे हाँ या न इसके अलावा तीसरा कोई उत्तर नहीं मिलने वाला और जब तक आप दूसरे को यह नहीं बताएगें कि आप उसे चाहते हैं तो दूसरे को यह कैसे पता चलेगा कि आप उसे चाहते हैं। या अगर आप चुप रहते हैं तो आप दिल ही दिल में चाहते रहेंगे और आप का प्यार दूसरे का हो जाएगा। आदित्य ने फिर पूछा कि अगर इजहार करने में शर्म आती हो या संकोच होता हो तो क्या करें? आनन्द ने फिर समझाया देखो तुम कोई लड़की तो हो नहीं कि लड़कियों कि तरह शर्माओ दूसरी बात अगर संकोच है तो हिम्मत कर के उसे दूर करो या संकोच के साथ आँहें भरते रहो और इन्तजार करो उस दिन का जब तुम्हारा प्यार किसी और का हो जाएगा। मैंने पुरानी वाली बात याद करते हुए चुटकी ली हाँ हाँ अगर जैनी को चाहते हो तो संकोच मत करो दिल खोल कर दिल की बात कह दो और अगर खुद न कह पाओ तो मुझे ले चलो मैं कह दूँगा।

आदित्य

अक्सर नेट दोस्तों से बात करते हुए वो आदित्य के बारे में पूछते हैं कि कौन है आदित्य? काफ़ी सोच विचार के बाद यह निर्णय लिया कि अब आदित्य का परिचय सब लोगों से करवा देना चाहिए।

आदित्य मेरे तन मन में रहने वाला वह इन्सान है जिसनें मुझे बताया कि प्यार क्या होता है। मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं।

आदित्य मेरी कल्पना है, वो मेरी मंजिल है ,जहां मुझे जाना है।वो मेरे रोम रोम मे समाया हुआ है तभी तो मेरी सांसें चल रही हैं। वो मुझे खुश होता देख के हमेशा खुश होता है और दुखी देख के हमेशा उदास और परेशान्। वो मेरे जीवन की प्रेरणा है, मेरा आत्मविश्वास है, मेरा आत्मबल है। किसी ने सच ही कहा है।

प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता। प्यार तो अपने आप हो जाता है। दिन और रात… धरती और आसमान, एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं। सन -सन करती हवाएं, सुन्दर नजारे, फूलों की खुशबू … सभी में छिपा होता है प्यार… कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं, तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं। प्यार एक ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है। प्यार पर किसी का वश नहीं होता…. अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं तो डूबिये किसी के प्यार में … दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है ढाई आखर का प्यार… जब आप भी किसी को चाहने लगते हैं तो उसके दूर होने पर भी आपको नजदीक होने का अहसास होने लगता है , हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करते हैं, कोई पल ऐसा न गुजरता होगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहता हो … यही तो होता है प्यार… सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास। पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं। यह शब्द छोटा होते हुए भी सभी शब्दों में बड़ा महसूस होता है। केवल इतना सा अहसास मात्र ही आपको तरंगित कर देगा कि मैं उससे प्यार करता या करती हूं …

प्रकृति भी बडी अजीब है इसके कई रूप है और यह भी जब बच्चे की भाँति शरारत करना चाहती है तो बहुत कुछ ऐसा कर डालती है जो प्राकृतिक नियमों का एकदम विपरीत होता है, परन्तु कोई चीज जो समाज में उपस्थित है तथा जिसके बारे में समाज के लोगों को पता है तथा विश्व के कई देशों में जिस चीज को सामान्य माना जाता है, वह प्राकृतिक अपवाद कैसे हो सकती है। मेरा मानना है कि इस संसार में जो कुछ हो रहा है, हो रहा था या भविष्य में होगा ईश्वर द्वारा संचालित इस ब्रह्माण्ड में ईश्वर की इच्छा से ही हो रहा होगा। ईश्वर के द्वारा ऐसा किए जाने के पीछे कोई कारण होगा यही सोच कर मैं इस सत्य को स्वीकार करता हूँ, मुझे भी प्रेम था उससे, जिसने मेरे न मिलने पर खुद को खत्म कर लिया। हमेशा के लिए इस संसार से नाता तोड़ लिया। उस घटना के घटित होने पर सिहर सा गया था मैं लेकिन ईश्वरीय इच्छा मान कर सोचा भूल जाऊँगा इस घटना को, लेकिन इतना अधिक करीब 30 साल का समय बीत जाने पर भी ऐसा लगता है जैसे वह मुस्कुरा रहा है। उसकी हँसी अभी भी याद है मुझे खामोशी में ऐसी गूँजती थी जैसे हवा चलने पर फूलों की टकराहट से एक खुश्बू सी आ गई हो। वह बहुत ही ज्यादा चंचल था, हमेशा ही खुद हँसते रहना और अपनी हँसी से दूसरों को हँसाते रहना, अलग-अलग टापिक पर घंटों लेक्चर देते रहना, नई-नई बातों की जानकारी देना यह उसकी फितरत थी। वह जब भी हमारे घर आता हमारे घर की वीरानगी दूर हो जाती और जैसे घर के कोने-कोने में हँसी की खिलखिलाहट आ गई हो ऐसा माहौल हो जाता। वह अक्सर मेरे पास ही आता हालाँकि वह मेरा दोस्त नहीं था मेरे छोटे भाई विजय का दोस्त था फिर भी न जाने क्यों मेरे पास ही आकर बैठता, वह मुझे भईया कह कर पुकारता था। जैसे ही मेरे कानों में भईया की आवाज आती, मुझे पता लग जाता कि मेरे घर में तूफान आ गया है। लेकिन मैने हमेशा उसकी एक आदत को देखा जो उसके स्वभाव के एकदम विपरीत थी। वह जब भी मेरे पास बैठा होता ,बहुत ही शान्त होता खास तौर से ऐसे समय पर जब घर में मैं अकेला होता और वह मेरे पास आकर बैठता। उसकी उस आदत का राज क्या था? यह आगे चल कर मुझे पता लगा। उसकी इसी आदत का दूसरा हिस्सा यह भी था कि जब वह मेरे पास बैठा होता और मैं उसके पास बैठ कर कोई काम कर रहा होता या पढ़ ही रहा होता तो वह चुपचाप खामोशी से अपनी मझोली आँखों से मुस्कुराते हुए मुझे लगातार निहारते रहता, कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती थी जिसके बारे में वर्णन कर पाना भी शायद मेरे लिए सम्भव न हो लेकिन एक कोशिश करता हूँ कभी कभी वह जब मुझे घूर रहा होता और मैं अचानक ही काम की तरफ से ध्यान हटा कर उसकी तरफ देखता तो हमारी नजरें एक दूसरे से टकराती, ऐसा लगता जैसे आँखें एक दूसरे में कुछ खोजने की कोशिश कर रही हों, ऐसी स्थिति बड़ी विचित्र सी हो जाती क्योंकि नजरें जब किसी लड़की से टकराऐं तो कुछ कल्पना की जा सकती है लेकिन यह स्थिति ऐसी होती थी कि दोनों कि आँखें एक दूसरे को देखे जा रही होती थीं मुझे बड़ा ही असहज सा और अटपटा सा लगता था लेकिन उसकी आँखों को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे किसी लड़की की झील सी गहरी बहुत गहरी आँखों में देख रहा हूँ। लगता जैसे वह आँखें मुझ से कुछ कहना चाह रही लेकिन जिव्हा अभाव के कारण कुछ भी कह पाने में अस्मर्थ हैं, लेकिन यह स्थिति कुछ छ्ड़ों के लिए या कुछ सैकंडों के लिए ही होती क्योंकि फिर वह अजीब सी सूरत बना कर जैसे उसके चेहरे पर कुछ शर्माहट के भाव है ऐसा प्रतीत होता हो के साथ अपनी आँखों को झुका लिया करता या दूसरी तरफ देखने लगता और यह कोई एक बार की ही बात नहीं थी, ऐसा कई बार हुआ।मुझे कई बार सोचने के लिए विवश होना पङा कि ऐसा क्यों होता है कि उसकी आँखों में डूब जाने का मन करता है यानि मन करता है लगातार उन आँखों को देखता रहूँ जो मुझ से कुछ कहना चाहती हैं और जान लूँ उस बात को जो वह मुझ से कहना चाहती हैं।लेकिन मैंने कहीं पढ़ा था कि किसी किसी की आँखों में आकर्षण शक्ति अधिक होती है, यही सोच कर कि उसकी आँखों में भी शायद यही बात हो मैं अपना ध्यान अन्य कामों कि तरफ लगा लेता मैं इतनी देर से उसके बारे में बता रहा हूँ कि वह ऐसा था, वह वैसा था, उसकी यह आदत थी, उसकी वैसी आदत थी लेकिन अभी तक यह नहीं बताया कि वह था कौन? तो सबसे पहले उसके रंग रूप के बारे में बताता हूँ। चेहरा गोल था रंग साँवला था यानि कि गेहुँआ पर होठों की एक खासियत थी और वह यह थी कि उसके होंठ बाकि लोगों से कुच ज्यादा ही लाल या गुलाबी थे और यह मैं पक्के तौर से कह सकता हूँ कि वह होठों पर लिपिस्टिक तो बिल्कुल भी नहीं लगता था। उसके चेहरे कि रंगत ऐसी थी कि हमेशा चेहरे पर खुशी छाई रहती थी और उसके चेहरे की मुस्कुराह्ट से दूसरों के चेहरे पर भी रंगत आ जाया करती थी। उसकी आँखें न तो बहुत बङी थी और न ही बहुत छोटी, वह मझले आकार कि थी। चेहरे पर मुहाँसों के कुछ दाग जरुर थे लेकिन वह चेहरे कि त्वचा से मिले हुए थे इससे पता नहीं चलते थे। चेहरे की बनावट ऐसी थी कि चेहरा देखने वाला कोई भी इंसान कह उठे कितना मासूम चेहरा है, मासूमियत तो चेहरे पर ऐसी छाई होती थी कि बार-बार चेहरा देखने का मन करे। बाल भी बहुत फैसनी नही थे, बहुत ही साधारण से थे, उसके चेहरे कि हिसाब से बाल अच्छे लगते थे, बालों का रंग गहरा काला था। शरीर भी बहुत अधिक लम्बा नहीं था और नाटा कद भी नहीं था। औसत कद कहना उचित होगा। शायद ही कभी उसे गुस्सा होते हुए देखा हो एक देम चंचल स्वभाव, अप्ने घर में अपने माँ-बाप की पहली औलाद और एक छोटी बहन का भाई। हम लोग कई साल पहले यहाँ रहने आ गए थे लेकिन वह लोग हम लोगों से पहले से ही यहाँ रह रहे थे। हालाँकि तब मेरा छोटा भाई विजय जो मुझ से तीन साल छोटा है काफी छोटा था, मैं भी छोटा ही था लेकिन कुछ समझदारी तो आ ही गई थी। विजय और आदित्य बचपन से ही दोस्त थे और पढ़ने के मामले में दोनो का स्वभाव एकदम एक दूसरे के विपरीत, आदित्य जहाँ पढ़ने में हमेशा अव्वल रहा, विजय हमेशा ही थर्ड क्लास नम्बर लेकर पास होता लेकिन दोनों कि दोस्ती में इस बात से कभी कोई फर्क नहीं आया। आदित्य का घर हमारे घर के सामने था और आदित्य के मम्मी पापा मिस्टर यादव और मिसिज यादव बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे। हम लोगों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना था और हमारा एक दूसरे के साथ व्यवहार एक परिवार की भाँति ही था।

अब मैं जिस घटना का जिक्र करने जा रहा हूँ वह उस समय की है जब मैं एम ए के पहले वर्ष में पढ़ रहा था। उस समय आदित्य ने रेगुलर कालेज में बी काम में और विजय ने पत्राचार विश्वविद्यालय के बी ए कोर्स में प्रवेश ले लिया था । मै। बहुत ही शान्त स्वभाव का था और किसी से फालतू बातें नहीं करता था इसीलिए हमेशा पढ़ने में ही लगा रह्ता था, मेरे कुछ दोस्त तो मुझे किताबी कीड़ा भी कहते थे। इसी बीच एक बात सुनने को मिली लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। उस घटना का वर्णन कुछ इस प्रकार था आदित्य के पापा को कुछ ढूढ़ते हुए आदित्य की अल्मारी से अंग्रेजी अक्षर के जे अक्षर का एक लाकेट मिला जिसके साथ एक लव लैटर या प्रेम पत्र भी था जिस पर लिखा हुआ था हम आप से बहुत प्यार करते हैं। आई लव यू। आदित्य कालेज के अपनी एक साथी का हमारे सामने हमेशा जिक्र करता था जिसका नाम प्रिया था लेकिन प्यार से सभी उसे जैनी कहते थे। जब मुझे इस बात का पता लगा तो मुझे लगा कि आदित्य शायद जैनी को चाहता हो और उसी के बारे में यह सब घटना क्रम घटित हुआ। मुझे यह भी पता चला कि आदित्य के पापा ने उसको इसके लिए काफी डांटा था, कि अभी अपना ध्यान पढ़ने में लगाओ और प्यार व्यार के चक्कर में मत पड़ो अगर अपनी जिन्दगी बनानी है तो, वरना मन में जो आये वो करो। मेरे लिए इस घटना का कोई महत्व नहीं था इसीलिए मेरे लिए यह बात आई गई हो गई।

एक दिन हमउम्र कुछ लोगों का एक ग्रुप हमारी छत पर बैठा था और हम लोगों में प्यार विषय पर ही चर्चा हो रही थी वहाँ पर विजय और आदित्य भी बैठे हुए थे। तभी एक प्रश्न खड़ा हुआ कि अगर आप प्यार करते हैं तो क्या करें? सभी का एक ही मत था कि अगर प्यार किया जा रहा है किसी को मन ही मन चाहा जा रहा है तो अपने प्यार का इजहार करना जरूरी है, क्योंकि तभी दूसरे पक्ष को पता लगेगा कि कोई उसे चाहता है, किसी के दिल में उसके लिए संवेदनायें और भावनायें है। तभी आदित्य ने कहा सच में ही अगर हम किसी को चाहते हैं तो हमें अपने प्यार का इजहार करना चाहिए। मेरे एक दोस्त आनन्द ने उसे समझाते हुए कहा देखो अगर आप किसी से अपने प्यार का इजहार करते हो तो आपको दो उत्तर ही मिलेंगे हाँ या न इसके अलावा तीसरा कोई उत्तर नहीं मिलने वाला और जब तक आप दूसरे को यह नहीं बताएगें कि आप उसे चाहते हैं तो दूसरे को यह कैसे पता चलेगा कि आप उसे चाहते हैं। या अगर आप चुप रहते हैं तो आप दिल ही दिल में चाहते रहेंगे और आप का प्यार दूसरे का हो जाएगा। आदित्य ने फिर पूछा कि अगर इजहार करने में शर्म आती हो या संकोच होता हो तो क्या करें? आनन्द ने फिर समझाया देखो तुम कोई लड़की तो हो नहीं कि लड़कियों कि तरह शर्माओ दूसरी बात अगर संकोच है तो हिम्मत कर के उसे दूर करो या संकोच के साथ आँहें भरते रहो और इन्तजार करो उस दिन का जब तुम्हारा प्यार किसी और का हो जाएगा। मैंने पुरानी वाली बात याद करते हुए चुटकी ली हाँ हाँ अगर जैनी को चाहते हो तो संकोच मत करो दिल खोल कर दिल की बात कह दो और अगर खुद न कह पाओ तो मुझे ले चलो मैं कह दूँगा।

क्या है आदित्य के दिल का असली राज़? क्या वह उसे बता पाएंगे? पढ़िएआदित्यइस कहानी के श्रृंखला की अगली कड़ी, अगले अंक में!