बांग्लादेश में मानवीय इन्द्रधनुष!

मुझे रंग दे बेमिसाल: नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल! छाया: रूपबान।

मुझे रंग दे बेमिसाल: नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल! छाया: रूपबान।

बांग्ला नूतन वर्ष १४ अप्रैल, २०१४ को ‘पोएला बोइशाख’ के अवसर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका ने शान दिखाई अपने पहले मानवीय इन्द्रधनुष की! ‘रूपबान’, एल.जी.बी.टी. विषयों पर बांग्लादेश के पहले मैगज़ीन ने इस रैली का आयोजन किया था। इसका मक़सद अनेकरूपता और मैत्री का उत्सव मनाना था। ढाका यूनिवर्सिटी के ललित कला संकाय से रुपोषी बांग्ला होटल तक ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा आयोजित मंगल शोभा यात्रा के भीतर यह परेड हुआ। सोशल मीडिया द्वारा समुदाय और समर्थकों में आमंत्रण भेजे गए। भले ही कोई भी एलजीबीटी सम्बन्धी बैनर या स्लोगन नहीं इस्तेमाल किये गए, मगर करीब-करीब १०० के बराबर सहभाबियों ने इन्द्रधनुष के किसी एक रंग, जमुनी, नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी या लाल, के कपडे पहने। फिर रंगों से मैचिंग, हाथ से बनाये गए टोपियों, पगड़ियों, काग़ज़ से बने फूल और पंछी वगैरह से उन्हें सजाया गया. फिर लोगों ने सात लाइनों में मार्च किया।

बांग्ला नूतन वर्ष की यात्रा के बीच ढाका में इंद्रधनुषी उत्साह। छाया: रूपबान।

बांग्ला नूतन वर्ष की यात्रा के बीच ढाका में इंद्रधनुषी उत्साह। छाया: रूपबान।

इस यात्रा की प्रेरणा बांग्लादेश में पाये जानेवाले ६ मौसमों का वैविध्य था। इन्ही रंगों के सैंकड़ों गुब्बारों की वजह से सारी रैली एक विशाल इन्द्रधनुष बन गयी, नव वर्ष की मंगल शोभा यात्रा के बीचों-बीच! परेड के आखिर में गुब्बारे आसमान में छोड़े गए। आयोजकों के अनुसार यह दिन ‘ओपन रैली दिवस’ होने की वजह से ढाका विश्वविद्यालय के क़रीब इस इलाक़े में परेड करने के लिए पुलिस की अनुमति भी नहीं लेनी पड़ती। ऑनलाइन मीडिया में कुछ जगहों पर कहा गया कि यह एल.जी.बी.टी. प्राईड परेड थी, लेकिन यह सच नहीं है। प्राइड परेड करने की आयोजकों में इच्छा तो है लेकिन मौजूदा सूरतेहाल में वे इतना ही कर सकते हैं क्योंकि देश में समलैंगिक समुदाय अभी भी अदृश्य है।

 

नीले गगन के तले... नीले गुब्बारे, साफे और काग़ज़ के फूल! छाया: रुपबान।

नीले गगन के तले… नीले गुब्बारे, साफे और काग़ज़ के फूल! छाया: रुपबान।

ज़ाहिर तौर पर एल.जी.बी.टी. विषय से सम्बन्ध नहीं होने की वजह से इस ‘रेनबो रैली’ को आये गए हज़ारों लोगों ने सराहा। ढाका विश्वविद्यालय के यहाँ ‘पहला बोइशाख’ के उत्सव का लुत्फ़ उठाने के लिए आये इन लोगों ने मानवीय रेनबो के साथ बहुत सारे फोटो और ‘सेल्फ़ी’ खींचे। उल्हासित सहभागियों ने बांग्लादेश के वैविध्य का आदर करने और उसे प्रोत्साहन देने के लिए एकजुट होने का मत दर्शाया। विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक, जातीय, भाषिक वैविध्य के साथ यहाँ लोग एक साथ रहते हैं, और इस वैविध्य पर आधारित कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

शुभो नोबो बोर्षो! छाया: रूपबान।

शुभो नोबो बोर्षो! छाया: रूपबान।

यात्रा की देश के सांस्कृतिक और राजनैतिक स्थिति से जुडी हर साल एक नयी थीम होती है। दीगर सांस्कृतिक संस्थाएँ और कलाकार इसमें अपने कार्यक्रम पेश करते हैं। शहर में नूतन वर्ष की गतिविधियाँ प्रातःकाल से ही शुरू होती हैं, रबीन्द्रनाथ टैगोर के ‘ऐशो हे बोइशाख’ इस गीत के गाने से। “शुभो नोबो बोर्षो” कहकर लोग एक दूसरे को बधाइयाँ देते हैं। बांग्लादेश, भारत के पश्चिम बंगाल, और अन्य राज्य जैसे असम, त्रिपुरा, उड़ीसा और झारखंड में मनाया जाता है। भारत और बांग्लादेश को मिलाकर दुनिया में तक़रीबन २७ करोड़ बंगाली बोलने वाले लोग विभिन्न देशों में बेस हैं, और वे भी इस त्यौहार को मनाते हैं। बंगाली पंचांग में बंगाली साल ‘बोंगाब्दों’ में बैसाख का महीना पहले आता है।

अब अकेले नहीं, हम साथ-साथ हैं। छाया: रूपबान।

अब अकेले नहीं, हम साथ-साथ हैं। छाया: रूपबान।

हाल ही में बांग्लादेश सरकार ने हिजड़ों को तृतीय जेंडर के रूप में स्वीकार किया। पुरुषों और स्त्रियों के साथ सार्वजनिक तौर पर उत्सव मानाने का उनका हक़ अधोरेखित किया गया। लेकिन बांग्लादेश भी भारत की तरह ब्रिटिश शासन का हिस्सा होने की वजह से यहाँ भी बांग्लादेश दंड संहिता की धारा ३७७ लागु है, जिससे आम सहमति से वयस्क व्यक्तियों के बीच के समलैंगिक सम्बन्ध अप्राकृतिक और दंडनीय माने गए हैं, इस माहौल में लैंगिकता अल्पसंख्यकों को ब्लैकमेल, शारीरिक हमले, शादी करने के लिए परिवारों का तीव्र दबाव, रूढ़िवादी धार्मिक ताक़तों का विरोध इत्यादि संजीदा मसलों का सामना करना पड़ता है। नैतिकता के रखवाले भी सरेआम इस समुदाय के खिलाफ अपना द्वेष जताते हैं। उन्हें सरकारी मान्यता नहीं है लेकिन कानून इस समुदाय के खिलाफ होने से वे बेझिझक अपनी करतूत करते हैं। आयोजकों की आशा है कि यह इंद्रधनुषी यात्रा आने वाले समय में एक वार्षिक परंपरा बन जाए। समलैंगिक अधिकारों के स्वीकार बहुत दूर है, लेकिन यह एक अच्छी शुरुआत है!