कुदरती शनाख्त – एक तस्वीरी मज़मून (भाग २)

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.१

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.१

दोस्ती – हर तूफ़ान के बाद का किनारा, हर राह का हमसफ़र.

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.२

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.२

नाम तो बहुत सारे देते है: हिजड़ा, ट्रांससेक्सुअल, और ये तो सभ्य नाम हैं. इस दुनिया से मिलने वाली लानत के भी अनेक नाम हैं: कलंक, लांछन, दाग. मगर इन सब नामों से पर देखो, देखो वह खूबसूरत ज़िंदगियाँ, वह जीने की इच्छा, वह एक दूसरे को मदद करने का भाव, जग की उपेक्षा के बावजूद अपना हास्य नहीं खोना, क्या यह दिखाई नहीं देता?

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.३

नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून २.३

लेन-देन, हिसाब, दुनियादारी. बाजार की दौड़धूप. आशीर्वाद का वादा, अपशब्दों का भय, या महज़ रोज़मर्रा ज़रूरतों की पूर्ति, कभी सिर्फ शहर की उदासीनता.

अन्य तस्वीरें और छायाचित्रकार के मनोगत देखिए और पढ़िए, फोटो एसे की दूसरी कड़ी में अगले अंक में।
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