प्रतीक (Pratik)

holding hands, friendship

कविता : एक मुलाकात

फिर एक बार तुमने तुम्हारे सपने बताये और फिर एक बार मैं अपनी ख्वाहिशें दबाने में कामयाब हो बैठा।

प्रतीक (Pratik)

प्रतीक मिश्रित मानवीय भावनाओं के बारे में लिखना पसंद करते हैं। वह भावनाएँ जो बहुत से लोग अपने अंदर दबा के रख लेते हैं। फिलहाल वे फ्रांस में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर रहा है।