gay kahani

कहानी : मुझे कुछ कहना है…

हाँ... मैं गे हूँ, एक समलैंगिक... जिसको सिर्फ लड़कों मे दिलचस्पी है। मुझे पता है तुम्हें बहुत गुस्सा आएगा ये जानकर। तुम शायद कभी मुझे माफ नही करोगी।

कुछ यूँ शुरू हुई यह लव स्टोरी

बहुत कोशिश करता था खुद को बदलने की, लड़को की तरह रहने की, चलने की, बात करने की पर हर बार मैं वही हरकत करता जो मुझे अछी लगती। इस वजह से स्कूल में हँसी का पात्र बन गया

सपनों पे भारी समाज

विजय की सहनशक्ति तब खत्म हुई जब हर कोई उसे चिढ़ाने लगा, कोई कहता था "तू इस कॉलेज से चला जा तेरे जैसों का यहाँ कोई काम नहीं" तो कोई उसके सामने "ए छक्के" कहकर चिढ़ाता था।

हाथों की मेहंदी

लड़के कब से हाथों में मेहंदी लगवाने लगे? ये लड़कियों वाले शौक क्यों पाल रखे हैं? और सवालों की इन झड़ी में सबसे मुश्किल सवाल - तू लड़का ही है ना?

दोस्ती की नई परिभाषा

अब हम अच्छे दोस्त हैं और मुझे नहीं लगता कि दुनिया में दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता हो सकता है क्योंकि इसके कोई दायरे या सीमाएँ नहीं होती

कहानी : रूममेट

अर्जुन नाम था उसका, कद काठी मेरी तरह, सांवला रंग और मेरी आँखे उसे देखती ही रह गयी। ऐसा नहीं था कि वो सुन्दर था पर वो 'वोह' था!

कहानी: मैं राँझा हो गया

वो घण्टों एक ही जगह बैठा उसका नाम पुकारता रहता। आयुष्मान की कही बात सच हो गयी थी। वो राँझा राँझा करता खुद ही राँझा हो गया था।

गे एंड नॉर्मल : खुद को स्वीकारने की मेरी सच्ची कहानी

मेरी भगवान से दो ही विनतियाँ है - पहली यह की मुझे सच्चा प्यार करने वाला साथी मिले, और दूसरी यह की मेरा परिवार मुझे पूर्ण रूप से स्वीकार करे
आधा इश्क (८/१०) | तस्वीर: राज पाण्डेय | सौजन्य: QGraphy

कहानी : स्वीकार

सुरेश उसकी सच्चाई नहीं जानता था इसलिए गुरमीत को डर था कि कहीं वो उसे खो ना दे क्योंकि इससे पहले गुरमीत ने कभी खुद को इतना खुश और कम्फ़र्टेबल महसूस नहीं किया था

कहानी : रंगीली और उसकी मौत का रहस्य

बचपन से ही लगता है कि या तो मैं पागल हूँ, या फिर मेरे आस पास जितने भी लोग है वो पागल हैं। अम्मा कहती थी थोड़ा अलग सा हूँ सबसे। बड़े हुए तो पता चला कि हम सबकी अ... Read More...
men and taj mahal

कहानी: बचपन का प्रेम

"जब किसी की तरफ दिल झुकने लगे, बात आकर ज़बाँ तक रूकने लगे, आँखों-आंखों में इकरार होने लगे,बोल दो अगर तुम्हें प्यार होने लगे, होने लगे... होने लगे" क्या इतन... Read More...

कहानी : पहली मुलाक़ात

कुछ तो बात थी उसमें, वर्ना घर से इंटरव्यू का बहाना बनाके, 500 किलोमीटर की दूरी तय करना, मुझ जैसे डरपोक इंसान के लिए मुमकिन नहीं था। हाँ, मैं उससे मिला, जब प... Read More...