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थर्ड जेंडर का आधा-अधूरा हक़। छाया: अमोल पालकर।

‘थर्ड जेंडर’ का आधा-अधूरा हक़

थर्ड जेंडर का आधा-अधूरा हक़। छाया: अमोल पालकर। पिछली दफ़ा साल २०१३ में समलैंगिकता से जुड़े मुद्दे के बाद जेंडर/लिंग/यौनिकता से जुड़ा एक दूसरा मामला देश के सर्वोच्च न्यायालय के पास जाता है। लेकिन इस बार जस्टिस के.एस राधाकृष्णन और जस्टिस ए. के सीकरी की द... Read More...
ट्रांस पुरुष, सशक्तिकरण की और

ट्रांस मैस्क्युलाइन लोगों का पत्र, केंद्रीय समाजकल्याण मंत्रालय को

छाया: संपूर्ण भारत का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय पहली बार ट्रांस समुदाय के लिए एक नीति बनाने वाला है। इस सिलसिले में ट्रांसजेंडर लोगों, खासकर ट्रांस पुरुष समुदाय ने मंत्रालय को सिफारिशें प्रदान की। ७४ ट्रांस मर्दाना व्यक्तियों ने, यह पत्र... Read More...
चाहत, ख्वाजा सिरा, कराची, पाकिस्तान। तस्वीर: शरमीन उबैद फिल्म्स।

कराची के ख्वाजा सिरा

चाहत, ख्वाजा सिरा, कराची, पाकिस्तान। तस्वीर: शरमीन उबैद फिल्म्स। बुझी हुई मोमबत्तियां, क्रीम के बंद डिब्बे। एक ख्वाजा सिरा की दास्ताँ का आग़ाज़। "मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मैं नाचती हूँ। लड़के मेरी तरफ देखते हैं और मैं अपने आप को खूबसूरत महसूस करती ह... Read More...
मुझे रंग दे बेमिसाल: नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल! छाया: रूपबान।

बांग्लादेश में मानवीय इन्द्रधनुष!

मुझे रंग दे बेमिसाल: नील, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल! छाया: रूपबान। बांग्ला नूतन वर्ष १४ अप्रैल, २०१४ को 'पोएला बोइशाख' के अवसर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका ने शान दिखाई अपने पहले मानवीय इन्द्रधनुष की! 'रूपबान', एल.जी.बी.टी. विषयों पर बांग्लादेश... Read More...
पुढील स्टेशन? समानाधिकार सेन्ट्रल! छाया: सचिन जैन।

अगला स्टेशन? क्वीयर आज़ादी!

पुढील स्टेशन? समानाधिकार सेन्ट्रल! छाया: सचिन जैन। ११.१२.१३ के सुप्रीम कोर्ट के भारतीय दंड संहिता की धारा ३७७ को बरक़रार रखने के अपने फेसले ने आपसी सहमती से हुए समलैंगिक संबंध अप्राकृतिक और गैरकानूनी ठहराए। यह मेरे और मेरे जेसे कई समलेंगिको एवं समान... Read More...
'आँख मिचौली', भाग २। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।

आँख-मिचौली – मेरी सच्ची जीवन कहानी (भाग २/२)

'आँख मिचौली', भाग २। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। १९६० के दशक में जनमें एक भारतीय समलैंगिक की जीवन कहानी, उनकी ज़बानी। पहला भाग यहाँ पढ़ें। पेश है दो भागों का दूसरा और अंतिम भाग। यह कहानी 'स्वीकृति' मासिक में अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है। मैं यूनिवर्सिट... Read More...
क्वीयर आज़ादी मुंबई, २०१४। तस्वीर: सचिन जैन।

नक़ाब – एक कविता

'ये नक़ाब उन्हें तुम्हारी ही देन है'। 'क्वीयर आज़ादी मुंबई, २०१४'। तस्वीर: सचिन जैन। नक़ाब चेहरों पर तुमने ओढ़े देखे होंगे नक़ाब उनके पर सच मानो तो हक़ीक़त में ये नक़ाब उन्हें तुम्हारी ही देन है। वो ओढ़े रखना चाहते हैं ये नकाब सिर्फ इसलिए क... Read More...
छलकाएं अपने असली रंग! तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।

संपादकीय ४ (१ अप्रैल, २०१४)

छलकाएं अपने असली रंग! तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। इस अंक की थीम है 'असली रंग'। वक़्त आ गया है, कि क्वीयर कम्युनिटी अपने विभिन्न रंगों से समाज को रंगने से नहीं डरे। वक़्त आ गया है कि हमारे जीवन की दिशा और गुणवत्ता को तय करने वालों के असली रंग भी प्रकट हों... Read More...
चुनाव की सरगर्मी।

चुनाव की सरगर्मी

चुनाव की सरगर्मी। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। आने वाले कुछ महीनों में तस्वीर साफ़ हो जाएगी कि देश में किसकी सरकार बनने वाली है। असल में २०१४ का ये चुनाव अपने में ख़ास है। लोगों में जोश है। वे बदलाव देखना चाहते हैं। साथ ही देश का एक बड़ा तबका फासिस्ट ताक... Read More...
आदित्य और मैं... मैं और आदित्य..।

शृंखलाबद्ध कहानी ‘आदित्य’ भाग ४/५

आदित्य और मैं... मैं और आदित्य..। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं। पढ़िए कहानी की पहली, दूसरी और तीसरी कड़ी। पेश है चौथी कड़ी: मैंने बिना भविष्य की चिन्ता किए इस प्रश्न का जवाब इस तरह से लिखा- प्रिय आद... Read More...
ग़ौर फरमाएँ, असलीयत देखें!

पर्दाफ़ाश – एक कविता

ग़ौर फरमाएँ, असलीयत देखें! तस्वीर: जोएल ल ब्र्युषेक। पर्दाफ़ाश जाने क्या दफ़न है खिले हुए चमन में कसकर बंद कफ़न है सच्चाई के दमन में पर्दाफाश करने के लिए क़फ़न उखाड़ना पड़ता है चमन उजाड़ना पड़ता है। नफरत पर चढ़ाई मुस्कान या वाकई खिलखिलाहट है? तन मिठ... Read More...
भ्रम, शर्मिंदगी और इंकार से आत्म-स्वीकृति तक।

आँख-मिचौली – मेरी सच्ची जीवन कहानी (भाग १/२)

भ्रम, शर्मिंदगी और इंकार से आत्म-स्वीकृति तक। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। १९६० के दशक में जनमें एक भारतीय समलैंगिक की जीवन कहानी, उनकी ज़बानी। दो भागों का पहला भाग। कमल का फूल आत्मिक जागृति का प्रतीक माना जाता है। भगवान् बुद्ध ने कली से फूल तक के कमल... Read More...