कुदरती शनाख्त – एक तस्वीरी मज़मून (भाग ४/४)
नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून ४.१
वह दोपहर का सूर्यप्रकाश, पल-छिन में होगा सागर में विलीन।
----------------------------------------- नफ़ीस अहमद ग़ाज़ी: तस्वीरी मज़मून ४.१
पल दो पल का अस्तित्व, बेहतर है करना सच का सामना।
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