एलजीबीटी एक्टिविस्ट पंडित जी

मोहल्ले के पंडित जी भले आदमी थे। सबसे प्यार से रहते थे, घर में झाड़ू लगाने आने वाली औरत को चाय पिलाने के लिए एक अलग कप भी रखा था। पंडित जी अपने आप को ‘एलजीबीटी एक्टिविस्ट’ कहते थे और डेटिंग एप पर ‘नो मुस्लिम/ नो एससी/एसटी/ नो गर्लिश/ नो अंकल/ नो फैट/ नो पेड’ लिखते थे। पंडित जी सबको बताते थे कि हिन्दु धर्म में शिखंडी जैसे लोग थे जिनका बहुत सम्मान था और अपने दोस्तों से पूछते थे, ‘ये हिजड़े इतने बेशर्म क्यों होते हैं यार? पूरी कम्युनिटी का नाम बर्बाद कर रहे ये सब।’ पंडित जी ये भी बताते थे कि कैसे मुस्लिम देशों में गे लोगों को मारा जाता है। पंडित जी को प्रधानमंत्री बहुत पसंद थे। प्रधानमंत्री के एक दोस्त ने कहा था कि अगर उनका बेटा गे होता तो वे उसे मार डालते| पंडित जी से पूछो कि प्रधानमंत्री ने ऐसा दोस्त क्यों रखा है तो पंडित जी कहते कि : ‘स्ट्रैटेजी नाम की भी कोई चीज़ होती है। केवल गे होना ही सब कुछ नहीं है, इकोनोमी भी है। हमें विकास चाहिए, बाकि सब भी धीरे धीरे हो जाएगा।’ इधर देश का जीडीपी गिरा जा रहा था, किसान भूखे मर रहे थे, टैक्स बढ़ता जा रहा था और नौकरियाँ घटती जा रही थीं। पंडित जी को लेकिन पूरा यकीन था कि प्रधानमंत्री जी सब ठीक कर देंगे। पंडित जी को ऐसा कोई चाहिए था जो उनसे वैसा ही प्यार करे जैसा वो प्रधानमंत्री जी से करते थे।

पंडित जी को प्राइड में जाना पसंद था। वहाँ रंग बिरंगे कपड़े में लोग होते थे जो देख के पंडित जी को बड़ा मज़ा आता था, वे घर आकर जो सबसे अजीब लगता उसकी फ़ोटो शेयर करते और खूब हँसते। अरे ऐसा अजीब सा पहनने का क्या ज़रूरत है। इंसानों जैसे कपड़े नहीं पहन सकते क्या ये लोग? कम से कम वैक्सिंग तो कर ही लेनी चाहिए थी अगर स्लीवलेस पहनना था तो। पंडित जी होटल मे जा के दूसरे गे लोगों के साथ नाचते भी थे, वहाँ वो दारू पी लेते थे कभी-कभी, लेकिन घर आकर गंगाजल से नहाना नहीं भूलते थे।पंडित जी को बाइसेक्शुअल लोग बिल्कुल नहीं पसंद। ‘बाईसेक्शुअल लोग किसी के सगे नहीं होते। उनको लड़के भी चाहिए और लड़कियाँ भी|‘ पंडित जी कहते कि ये बाईसेक्शुअल लोग हम गे लोगों के साथ सेक्स करते हैं और किसी लड़की से शादी कर लेते हैं लास्ट में। इधर कुछ टाइम से पंडित जी को बड़ी कोफ़्त है। ये प्राइड में आज़ादी के नारे क्यों लगाते हैं लोग? केवल एलजीबीटी पर फ़ोकस नहीं कर सकते क्या? इतना पॊलिटिक्स घुसेड़ने की क्या ज़रूरत है? और ये हिजड़े लोग। आजकल तो पता नहीं जेंडरक्वीयर और जेंडर नॊन बाइनरी और ना जाने क्या क्या कह रहे| ऊपर से ये लेस्बियन लड़कियाँ, प्राइड में फ़ेमिनिज़्म लाने की क्या ज़रूरत है? इनको आदमियों से इतनी दिक्कत क्यों है? फ़ेमिनिज़्म कैंसर है। और ये एससी, एसटी वाले तो एकदम ही जातिवाद करते हैं। इनको तो बैन कर देना चाहिए| इनको इतनी दिक्कत है तो अपना अलग से प्राइड क्यों नहीं करते? इतना फ़ुटेज खाने की क्या ज़रूरत है? पूरा माहौल खराब कर रहे हैं ये सब।

Picture by: Manisha Jha

कल शाम पंडित जी चाय की दुकान पर मिल गए। हमने पूछ लिया, ‘कैसे हैं?’

पंडित जी अपने आप को ‘एलजीबीटी एक्टिविस्ट’ कहते थे और डेटिंग एप पर ‘नो मुस्लिम/ नो एससी/एसटी/ नो गर्लिश/ नो अंकल/ नो फैट/ नो पेड’ लिखते थे।

पंडित जी बड़े दुखी होकर बोले, ‘अरे क्या बताएँ यार! ये कई सारे एलजीबीटी लोग ना एकदम देशद्रोही हो गए हैं। इनको पक्का गल्फ़ से पैसा आता है।’

‘ये तो बहुत चिंता की बात है। फ़िर अब आप क्या करेंगे?’ मैंने सवाल किया।

‘पुलिस से बात चल रही है। हम लोग ये सारे कम्युनिस्ट टाइप देशद्रोही एलजीबीटी को पकड़वा रहे हैं।’ पंडित जी ने गर्व से कहा।

‘पुलिस से?’ मैंने आश्चर्य से पूछा। ‘अरे लेकिन पुलिस तो एलजीबीटी लोगों को हमेशा से ही परेशान करती रही है ना और आप तो एक्टिविस्ट हैं। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?’

पंडित जी एकदम से नाराज़ हो गए। मुँह फ़ुलाकर बोले, ‘यार देखो। तुम ना नहीं समझ रहे। वो तब की बात थी जब सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला नहीं आया था। अभी तो सब ठीक है ना। गे सेक्स भी लीगल हो गया है। अभी इतना बवाल करने की कोई ज़रूरत नहीं है। और फ़िर देश सबसे पहले है ना। कोई हमारे देश के खिलाफ़ कुछ बोलेगा तो हम कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं?’

ऐसा एलजीबीटी एक्टिविस्ट जो देशप्रेम के लिए एलजीबीटी लोगों की बलि भी देने को तैयार हो, तो एलजीबीटी समुदाय का उद्धार बिल्कुल तय है

‘अच्छा,’ मैंने सर खुजाते हुए कहा। ‘तो ये जो लोग पकड़े जाएंगे अगर इनके घर में पहले से मालूम नहीं हो तो इनके घर में पता नहीं चल जाएगा कि ये एलजीबीटी हैं?’

पंडित जी मुस्कुरा दिए। ‘देखिए, अगर आप देशद्रोही नारे लगा सकते हैं तो घर में पता चले या दुनिया में हमसे क्या?’

‘तो इनके साथ घर में हिंसा…’ मैंने बोलना शुरु ही किया था कि पंडित जी एकदम से आग बबूले हो गए। ‘क्या बकवास कर रहे हो यार?’ उन्होंने चिल्लाते हुए कहा। फिर इधर उधर देखकर शांत हो गए और बोले, ‘बकवास मत करो। किसी के साथ घर में कोई हिंसा नहीं होती। माँ बाप हैं, उन्हें समय लगेगा ये सब समझने में। और वो प्यार करते हैं हमसे, दो चार थप्पड़ मार दिया, करेक्टिव रेप करवा दिया तो कौन सा बड़ा पहाड़ टूट गया?’

अब इससे पहले कि मैं कुछ बोलता, पंडित जी खुद ही बोले, ‘चलो छोड़ो, तुमको नहीं समझ आएगा। मैं जा रहा हूँ पुलिस स्टेशन बयान देने। किसी लड़की को पकड़ा है, मतलब वैसे खुद को लड़का बोलती है। पता नहीं ऐसे कैसे कोई कुछ भी बोल देता है खुद को। मैं तो चाहता हूँ कि पुलिस उसकी इतनी अच्छे से खातिर करे कि ये देशद्रोह के साथ-साथ लड़का होने का भूत भी उतर जाए।’

मैं उन्हें आश्चर्य से देखने लगा। इतने देशप्रेमी लोग आज के समय में मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘जय श्री राम’ और चलते बने। मैं यही सोचता रहा कि ऐसा एलजीबीटी एक्टिविस्ट जो देशप्रेम के लिए एलजीबीटी लोगों की बलि भी देने को तैयार हो, तो एलजीबीटी समुदाय का उद्धार बिल्कुल तय है।

यह लेख एक व्यंग्य है।

धर्मेश