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'दुविधा' एक कविता | छाया: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: क्यूग्राफी |

दुविधा (एक कविता)

जलते कोयले पर जमी राख की परत को मिली है तुम्हारे स्पर्श से हवा अब इस सुलगी आग का क्या करूँ मैं? छोड़ दूँ गर इसे अपने नतीजे पे तो प्रश्न अस्तित्त्व का है बुझा भी दूँ किसी की मदद से तो सवाल है नीती-अनीती का… इस दुविधा में मुझे फँसाकर यूँ मुँ... Read More...
क्रॉसड्रेसर - एक कविता | तस्वीर: वेंकट रामदास | सौजन्य: क्यूग्राफी |

क्रॉसड्रेसर – एक कविता

कुछ काम मैंने औरतों की तरह किए कुछ नहीं, कई और फिर धीरे-धीरे, सारे   सबसे आखिर में जब मैं लिखने बैठा मैंने कमर सीधी खड़ी करके पंजों और ऐड़ियों को सीध में रखकर बैठना सीखा इससे कूल्हों को जगह मिली और पेट को आराम उसने बाहर... Read More...
धनञ्जय चौहान

‘फीस में बढौतरी न मिटा पाई पढने की जिज्ञासा’

पंजाब विश्वविद्यालय का घटनाक्रम - मेरी नज़र में (अप्रैल २०१७ में लिखित) मैं धनञ्जय मंगलमुखी पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की प्रथम ट्रांसजेंडर विद्यार्थी हूँ। मैं ४५ वर्ष तक अपनी असली पहचान के लिए संघर्ष करती रही। सारी दुनिया के लोग हैरान परेशान हैं क... Read More...
'ब्रेड-कटलेट-पोहा-ऑमलेट' - एक कहानी | तस्वीर: ग्लेन हेडन | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“ब्रेड-कटलेट-पोहा-आमलेट” (कहानी)

मई - जुलाई २०१६, ग्राइंडर पर: 'जगह है':-“बॉडी नहीं प्लीज़” 'आर्य५२७':-“ठीक है” 'जगह है':-“नो किसिंग...नो टचिंग" 'आर्य५२७':-“ठीक है” 'जगह है':-“सिर्फ ब्लो जॉब ” 'आर्य५२७':-“ठीक है” 'जगह है':- “म्म्म...” 'जगह है':-“जब तुम ब्लो करोगे अगर मैं स्मो... Read More...
'तथाकथित से संवैधानिक तक' | तस्वीर: अमन अल्ताफ | सौजन्य: क्यूग्राफी |

संपादकीय: ‘तथाकथित’ से ‘संवैधानिक’ तक: व्यक्तिगतता की जीत ने जगाई लैंगिकता अल्पसंख्यकों में आशा की किरण

“निजिता या व्यक्तिगतता एक आतंरिक और मूलभूत अधिकार है”। भारतीय उच्चतम न्यायलय के ९ न्यायाधीशों के संविधान पीठ ने आज २४ अगस्त २०१७ को यह ऐतिहासिक फैसला दिया। संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत हर भारतीय नागरिक का प्रदत्त जीवन और स्वातंत्र्य संरक्षित है। केव... Read More...
'सिसक' (एक कविता) | तस्वीर: हृषिकेश पेट्वे | सौजन्य: क्यूग्राफी |

सिसक – एक कविता

रोशनदानों की रोशनी सी पुलक-पुलक मैंने इबादत पढ़ी है जो परवरदिगार इसका तू और आयात तेरे अफ़साने। जावेदा-सी नहीं है ये शमा कोई, तेरी जुस्तजू में आफ़ताब-सा मेरा हिय सुलग उठा है। हिय मेरा जो पुलक-पुलक ये सुलगे, ये तो बस पाक होने का ज़रिया है। आसीबी आत... Read More...
'वापसी' (२/२) | तस्वीर: ग्लेन हेडन |

“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग २/२)

कहानी की पहली किश्त यहाँ पढ़ें। उसका घर, घर जैसा था। फिर बातें हुई, बहुत-सी बातें, कुछ जरुरी थी, कुछ ग़ैर-जरुरी, कुछ याद हैं, बहुत-सी नहीं भी। उन बातो का सार यही था कि उसका नाम मधेश है, जिसका मतलब होता है मच्छर या मक्खी या तितली या ऐसा ही कुछ, मुझे आज... Read More...
'वापसी' (१/२) | तस्वीर: क्लेस्टन डीकोस्टा | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग १/२)

एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। "एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।" कोई चेहरा नहीं। बस आवाज़। अरसा गुज़र चूका है, पर कुछ है जो मेरे ज़हन से उतरा नहीं है। सपनों ने काफी तबाही मचायी... Read More...
पॉल एक गाथा (८/८) | तस्वीर: फेबियन हार्टवेल |

“पॉल – एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ८/८)

यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६ | भाग ७ | प्रस्तुत है... Read More...
'पॉल एक गाथा' (७/८) | तस्वीर: फेबियन हार्टवेल | तस्वीर केवल प्रस्तुतीकरण हेतु'पॉल एक गाथा' (७/८) | तस्वीर: फेबियन हार्टवेल | तस्वीर केवल प्रस्तुतीकरण हेतु|

“पॉल – एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ७/८)

यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं और उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६ | प्रस्तुत है कहान... Read More...
पॉल एक गाथा (६/८) | तस्वीर: रणजीत कुमार | गेलेक्सी हिंदी |

“पॉल – एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ६/८)

शाम को ड्यूटी ख़तम होने के बाद मैं पॉल के वार्ड में गया। वो अभी भी सो रहा था। दवाई का असर था। मैं उसके पास बैठा था। तभी उस वार्ड के कम्पाउंडर ने मुझे आकर कहा: "भैया, आज डॉक्टर इस के लिए शॉक थेरपी लिख कर गए हैं। कल इसे शॉक देने के लिए दुसरे हॉस्पिटल शि... Read More...

“पॉल – एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ५/८)

कहानी 'पॉल एक गाथा की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | प्रस्तुत है भाग ५: इतना सुनकर इंस्पेक्टर थोडा ठंडा पड़ गया। और डॉक्टर से कहा, "सर... प्लीज आगे रिपोर्ट मत करना। आगे से ऐसा कतई नहीं होगा।" डॉक्टर ने दोनों पुलिस को वार्... Read More...