कहानी: चादरे
मुझे याद है, मैं और वरुण उन सफ़ेद चादरों के नीचे परछाइयाँ बनाया करते थे, टॉर्च की रौशनी में। कुत्ता, बिल्ली जब कुछ ना बने तो भूऊऊत। उसका हसता हुआ चेहरा जिसे मैं आज तक नहीं भूला, हर चीज़ धुँधला गयी है पर उसका चेहरा वैसा का वैसा है यादो में। मेरा ... Read More...