समलैंगिक

Recognition of Relationships...Photo Credit: QGraphy & Avinash Singh

समाज

सबकी अपनी अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। सबको अधिकार है अपनी मर्जी के मुताबिक ज़िन्दगी जीने का।

समलैंगिकता: नज़रिया और कानून

यह कहना कि, विश्व के अलग-अलग हिस्सों में लैंगिक अनुरूपता अलग-अलग दिखायी देती है, बहुत छोटी बात लगती है। लेकिन समलैंगिकों के प्रति भी सांस्कृतिक और व्यक्तिगत नजरिया व्यापक रूप से भिन्न है।
तस्वीर: गोपीनाथ मेनन, सौजन्य: QGraphy

कहानी: चड्डी में हाथ

तुम्हें ढूंढ़ते हुए आऊँ तुम्हारे शहर तक, तुम्हारी गली तक, तुम्हारे घर तक, उस बिस्तर तक जिस पर तुम पड़े हो , चड्ढी में हाथ डाले हुए।
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377 से आज़ादी के एक साल – क्या सच में कुछ बदला?

आज़ादी के एक साल पूरे हुए। अब देखना ये है कि इस एक साल में एलजीबीटी+ समुदाय का जीवन कितना सुधरा ? बेशक हम ये कह सकते हैं कि हमारे ऊपर से 'कानूनी मुजरिम' होने क... Read More...

यूएनएड्स और एलजीबीटी फाउंडेशन कर रहे हैं एलजीबीटीआई लोगों की खुशी और यौन संबंध पर संक्षिप्त सर्वे

यूएनएड्स और एलजीबीटी फाउंडेशन ने एलजीबीटीआई लोगों के लिए खुशी, सेक्स और जीवन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्... Read More...
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कविता : लड़का हूँ और लड़के से प्यार करता हूँ

ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं कागज़ पेन से नहीं, दिल से बयां करता हूँ।लड़का हूँ और लड़के से प्यार करता हूँ।। समलैंगिक हूँ कोई अभिशाप न... Read More...
“बुज़ुर्ग हैं, क्षीण नहीं” | छाया: राज पाण्डेय | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“बुज़ुर्ग हैं, क्षीण नहीं” – “सीनेजर्स” वयस्क सम/उभय/अ लैंगिक पुरुषों का प्रेरणादायक संगठन

मुंबई के बांद्रा इलाके में थडोमल शहाणी अभियन्त्रिक महाविद्यालय में २१ जनवरी २०१८ को शाम ४ से ७ बजे तक एक अनोखा कार्यक्रम हुआ। “सीनेजर्स” (अंग्रेजी शब्द ‘टीनेजर्... Read More...
'उन्होंने कुछ नहीं कहा' - एक कविता | तस्वीर: सेंतिल वासन | सौजन्य: क्यूग्राफी |

“उन्होंने कुछ नहीं कहा” – स्वगत कथन

प्रस्तुत है इस स्वगत-कथन की उत्तर-कृति: वह चुपचाप होने वाली बातें जो होकर रह गयी हैं: वक़्त के तले में अब भी चिपकी हुई हैं। वो कुछ न कह सके हम कुछ न कह सके; कभी... Read More...