Disney+/Hotstar का ‘द एम्पायर’ और तारीख़ से दोजिंसपसंदी (बाईसेक्सुअलिटी) मिटाने की कोशिश

एम्पायर एक तारीख़ी सिलसिलेवार ड्रामा है जो बाबर, मुग़लिया सलतनत के पहले बादशाह, की तारीख़ की एक अफ़सानवीशुदा शक्ल पेश करता है। यह ड्रामा अलेक्स रुदरफोर्ड के अफ़सानवी नॉवलों के सिलसिले एम्पायर ऑफ़ द मोघूल निर्धारित है। अगर कोई तारीख़ी दुरुस्ती की उम्मीद से यह ड्रामा देख रहा है तो ज़ाहिर है कि वह ग़लत उम्मीद लगाए बैठा है। फिर बाबर की दोजिंसपसंदी के इस ड्रामे में ज़िक्र न होने से न मुझे क्यों ऐतराज़ है?

बाबरी अंदीजानी, बाबर के महबूब, का तारीख़ी दस्तावेज़ों में बहुत कम ज़िक्र है। तारीख़ के सरकारी सिलेबस में तो इसका नाम-ओ-निशान तक नहीं है। पर बादशाह बाबर ने ख़ुद बाबरनामे में इसका बेशुमार ज़िक्र किया है और इसकी मुहब्बत में फ़ारसी में कई शेर भी लिखें हैं। तारीख़दान इस बात के बहुत क़द्रदान हैं कि बाबर ने कैसे बाबरनामे में बेझिझक अपनी तारीख़ को क़ैद किया है, और वैसे ही बेझिझक अंदाज़ में उसने बाबरी के लिए अपनी मुहब्बत का इज़हार इसमें किया है।

एम्पायर ऑफ़ द मोघूल में बाबरी एक अहम किरदार है। पर द एम्पायर में बाबरी की जगह क़ासिम नाम का किरदार देखने को मिलता है। बाबरी एक ग़ुलाम लड़का था जिसे बाबर ने एक उर्दूबाज़ार से छुड़ाया था, जबकि क़ासिम का किरदार एक समरक़ंदी लड़का है जो एक ख़ुफिया रास्ते से नौजवान बाबर को क़िले में घुसने में मदद करता है। और इस मौक़े के बाद क़ासिम बाबर की ज़िंदगी से बहुत वक़्त के लिए ग़ायब हो जाता है, जबकि असली बाबरी काफ़ी बाद तक बाबर का साथ नहीं छोड़ता। सालों बाद बालिग़ हो चुके बादशाह बाबर की मुलाक़ात इस क़ासिम से तब होती है जब वह असलम नवाज़ को, जोकि उस रात बाबर और क़ासिम के साथ क़िले में दाख़िल हुआ था, बाबर से ग़द्दारी करता पकड़ लेता है। इसके बाद क़ासिम बाबर के समरक़ंद हार जाने के बाद भी उसके साथ रहता है, उसके दोस्त की हैसियत से।

जब किसी ऐसे शख़्स के बारे में कोई ड्रामे बनाया जाए जिसने किसी दूसरे मर्द से मुहब्बत करने का ख़ुद अपनी आपबीती में ज़िक्र किया हो और उस ड्रामें में उसकी इस मुहब्बत को नकारा जाए तो साफ़ ज़ाहिर होता है कि बनानेवाले का इरादा जान-बूझकर उसकी इस फ़ितरत को छुपाने का है

जब बाबर की होनेवाली मलिका माहम से रोमांस का वक़्त आता है तो बाबर इस क़ासिम को फ़ार्स के बादशाह से जंग में मदद मांगने बतौर साफ़िर भेज देता है। यहाँ क़ासिम सिफ़ारत का काम करता है और पीछे से बाबर अपनी दिगरजिंसपसंदी (हेट्रोसेक्सुअलिटी) की शेख़ी बघारता है। फ़ार्स से क़ासिम ख़ुशख़बरी लेकर लौटता है कि वहाँ के बादशाह ने जंग में बाबर की मदद करने की बात बिना किसी शर्त क़ुबूल कर ली। जंग जीतने पर पता चलता है कि यह झूठ था, और उनकी शर्त थी कि समरक़ंद जीत जाने पर बाबर फ़ार्स की सलतनत के अंदर फ़ार्स के तख़्त के आगे झुककर समरक़ंद पर राज करे। बाबर क़ासिम से नाराज़ हो जाता है और उसे दूर चले जाने का हुक्म देता है। इसमें आधा सच है; असली बाबरी भी बाबर से दूर हुआ था। फ़र्क़ इतना है कि असली बाबरी बाबर से ख़ुद नाराज़ होकर पंद्रह सालों को लिए छोड़कर गया था और बाद में वापस आ गया था। ख़ैर हमारे क़ासिम मियाँ भी वापस तो आते हैं पर उनके लौटने की ख़ुशी बाबर के चहरे पर ज़्यादा देर नहीं ठहरती। पहले तो वह बाबर और उसकी फ़ौज को बारूद के बारे में बताता है, जो वे बाद में इब्राहीम लोदा से जंग जीतने में इस्तेमाल करते हैं। पर जंग के मैदान में जाने से पहले क़ासिम बाबर को बताता है कि उससे एक ग़लती और हुई थी, उसने ग़लती से वज़ीर ख़ान, बाबर के गुरु, का उसको किसी दूसरे के वार से बचाने की कोशिश में क़त्ल कर दिया था। बाबर फिर एक बार क़ासिम से नाराज़ हो जाता है। पानीपत की इस पहली लड़ाई में क़ासिम हुमायूँ को बचाते हुए ख़रब तोप का इस्तेमाल करकर मर जाता है। असली बाबरी की भी मौत इसी लड़ाई में हाथी के नीचे कुचले जाने से हुई थी।

अब मेरे सवाल का जवाब देते हैं।  मुझे बाबर की कहानी इस तरह दिखाने से क्यों ऐतराज़ है? क़ासिम ड्रामे में बार-बार वफ़ादारी, दोस्ती, “आपका हमराज़ हूँ” जैसे बोल अपने डायलॉग्ज़ में इस्तेमाल करता है। दो मौक़ों पर वह मुहब्बत लफ़्ज़ का भी इस्तेमाल करता है अपने बाबर के तईं जज़बात का इज़हार करते हुए। बाबर का किरदार उसके तईं कोई ऐसे अलफ़ाज़ इस्तेमाल नहीं करती जिनसे ज़ाहिर हो कि उसे क़ासिम से कशिश है। उसकी मौत का सोग भी वह चंद लम्हों के लिए ही मनाता है। एक मौक़े पर वह क़ासिम से यह भी कहता है कि अपनी दोस्ती के सिवाय वह उसे कुछ नहीं दे सकता। तारीख़ के बारे में आम अवाम को जो भी मालूम है उसमें हमजिंसपसंदी और दोजिंसपसंदी का नाम-ओ-निशान तक नहीं। लोग हमारे वजूद के सुबूत मिटाने पर तुले हैं। जब किसी ऐसे शख़्स के बारे में कोई ड्रामे बनाया जाए जिसने किसी दूसरे मर्द से मुहब्बत करने का ख़ुद अपनी आपबीती में ज़िक्र किया हो और उस ड्रामें में उसकी इस मुहब्बत को नकारा जाए तो साफ़ ज़ाहिर होता है कि बनानेवाले का इरादा जान-बूझकर उसकी इस फ़ितरत को छुपाने का है। 

यह पहली बार नहीं कि Disney के साए तले क्वियर (queer) किरदारों को मिटाया गया हो। Disney ने कई बार क्वियर नुमायंदगी के नाम पर ऐसे किरदार पेश किए हैं जो पल भर के लिए सामने आएँ और या तो ये साफ़-साफ़ न कहा जाए कि वे क्वियर हैं या मंज़र इतना छोटा हो कि आसानी से सॆंसर किया जा सके। मुलान फ़िल्म के लाइव-ऐक्शन रीमेक में भी ली शांग के किरदार को, जिसेकि कई लोग Disney का पहला दोजिंसपसंद (बाईसेक्सुअल) किरदार मानते हैं, दो किरदारों में बाँट दिया गया ताकि उसके डायलॉग्ज़ कम हों।

तो इसलिए मुझे बाबर की दोजिंसपसंदी के ड्रामें में ज़िक्र न होने से ऐतराज़ है। दोजिंसपसंद लोग दुनिया में इनसानों के इर्तिक़ा करने के वक़्त से मौजूद हैं और तारीख़ में से हमारे वजूद के सुबूतों को आप अपना फ़ायदा करने के लिए मिटा नहीं सकते।